गुमनामी के कगार पर है जिले का छलिया चट्टान का मनोहारी जलप्रपात
नवीन कुमार पाण्डेय/ उज्ज्वल दुनिया संवाददाता
चतरा: झारखंड राज्य का चतरा जिला का पहचान वैसे तो उग्रवाद की समस्या को लेकर हमेशा से सुर्खियों में रहा है परंतु यह जिला न सिर्फ कई ऐतिहासिक धरोहरों को सहेज कर रखा है बल्कि यहां कई पर्यटन स्थल भी मौजूद हैं जो झारखंड सरकार के उदासीन रवैया के कारण आज गुमनामी का चादर से ढका हुआ है। चतरा जिले के वादियों में कई मनमोहक जलप्रपात मौजूद हैं जहां पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं छिपी हुई है। चतरा का तमासिन, खईवा- वंदारू, गोवा, चूंदरू- धाम जैसे कई पर्यटक स्थल मौजूद हैं जो पलक बिछाए पर्यटकों के आने का कब से राह निहार रही है परंतु यहां कुछ वैसे भी जलप्रपात मौजूद हैं जिनकी जानकारी अभीतक जिला वासियों तक को भी नहीं हो पाया है और यह स्थान अबतक उनकी आंखों से ओझल है। उन्हीं जलप्रपात में से एक है छलिया चट्टान का जलप्रपात जहां पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं है। चारों ओर से वनों व पहाड़ों से घिरा प्रतापपुर प्रखंड मुख्यालय से महज 26 किलोमीटर तथा डूमरवार पंचायत मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर यह स्थल स्थित है। यह पलामू तथा चतरा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां तक पहुंचने के लिए भले ही कुछ दूरी तक का सफर जंगली और पथरीली मार्गो से होकर गुजरता है परंतु यहां पहुंचने पर झरने का कल- कल करता स्वर, चारों दिशाओं में फैली हरियाली, सफेद चट्टानों से ढाका यह स्थल पर्यटकों को रोमांचित कर देती है।
सफ़ेद चट्टानों के बीच से गिरता झरना, जंगली जानवरों का कौतुक तथा पक्षियों का स्वर को सुनकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति ने इसे काफी फुर्सत के क्षण में गढ़ा है। यहां की जादुई मनमोहक दृश्य किसी भी पर्यटक को बार-बार यहां आने के लिए प्रेरित करता है परंतु यह एक दुर्भाग्य की बात है कि चतरा जिला प्रशासन से लेकर झारखंड सरकार तक का ध्यान अबतक यहां तक नहीं पहुंचा है और नहीं अबतक किसी भी पदाधिकारी यहां तक पहुंचने का कोशिश किए हैं।
इस क्षेत्र के ग्रामीणों ने छलिया चटान को पर्यटक स्थल घोषित करते हुए यहां पर्यटकों को आने जाने के लिए सुगम मार्ग का निर्माण करने के साथ-साथ पर्यटकों के सुविधा के लिए यात्री शेड का निर्माण करने, बच्चों के खेलने के लिए झूला लगाने के साथ-साथ चट्टानों के बीच पर्यटकों को बैठने के लिए उचित व्यवस्था करने का भी मांग किया है। चक तथा डुमरवार के लोगों का कहना है कि यहां का मनोरम दृश्य को देखते हुए न सिर्फ पलामू तथा चतरा जिले के लोगों के लिए इस क्षेत्र को विकसित किया जाए बल्कि इसे बौद्ध सर्किट से भी जोड़ा जाए ताकि बोधगया तक आने वाले विदेशी पर्यटकों को ही यहां तक आने का सुविधा प्राप्त हो ताकि यह क्षेत्र पूर्ण रूप से विकसित हो सके और इसकी मनोरम छटा की गाथा देश से लेकर विदेशों तक में भी छाया रहे ।
इस क्षेत्र में पर्यटन विकास की संभावना प्रबल हो ताकि इस क्षेत्र से बेरोजगारी की समस्या भी दूर हो सके तथा रोजगार का सृजन भी हो सके। इस मामले को लेकर इस क्षेत्र के ग्रामीण अब जागरूक हो चुके हैं तथा ग्रामीणों का एक शिष्टमंडल इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल घोषित करने की मांग को लेकर जल्द ही राज्य के श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण राज्य मंत्री सत्यानंद भोक्ता से मिलेगा तथा चतरा उपायुक्त से भी मिलकर इसे पर्यटक स्थल घोषित करने का मांग पत्र सौपेगा ताकि गुमनामी का चादर ओढ़े इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास का सपना साकार हो सके।