लोबिन की भाजपा में एंट्री: बढ़ेगी गुटबाजी, तो खिलने से पहले मुरझा सकता है कमल!
संताल परगना प्रमंडल के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचाते हुए, लोबिन हेम्ब्रम ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होकर एक नया राजनीतिक मोड़ लिया है। पूर्व में हरियाली के प्रतीक रहे हेम्ब्रम अब केशरिया रंग में रंग चुके हैं और भाजपा में शामिल होते ही उन्होंने बोरियो विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात भी कही है।
संताल परगना प्रमंडल, झारखंड की सत्ता का प्रवेश द्वार माना जाता है। इस प्रमंडल में कुल 18 विधानसभा सीटें हैं और पिछले कुछ चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि जिस दल या गठबंधन का इस क्षेत्र में बर्चस्व रहता है, वही सत्ता पर काबिज होता है। 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र में सिर्फ 4 सीटें मिलीं, जबकि झामुमो ने 9 और कांग्रेस ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की।
भाजपा का प्रयास: संताल परगना के एसटी आरक्षित सीटों पर खिले कमल
संताल परगना की 18 सीटों में से 7 सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। 2019 के चुनाव में झामुमो ने सभी एसटी सीटों पर कब्जा जमाया, जिससे यह क्षेत्र झामुमो का गढ़ बन गया। हालांकि, भाजपा ने भी समय-समय पर यहां सेंधमारी की है। 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले, भाजपा ने झामुमो के टिकट पर एसटी के लिए आरक्षित जामा और बोरियो सीट से 2019 में चुने गए सीता सोरेन और लोबिन हेम्ब्रम को पार्टी में शामिल करा लिया है। भाजपा का उद्देश्य है कि संताल परगना की एसटी आरक्षित सीटों पर कमल खिले, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या इन सीटों पर गुटबाजी बढ़ेगी या फिर पार्टी एकजुटता का पाठ पढ़ाएगी?
लोबिन और ताला के इर्द-गिर्द घूमती रही है बोरियो की राजनीति
साहेबगंज जिले की बोरियो विधानसभा क्षेत्र की राजनीति भाजपा और झामुमो के इर्द-गिर्द घूमती रही है। 2000, 2009, और 2019 के चुनाव परिणामों में झामुमो के लोबिन हेम्ब्रम और 2004 और 2014 के चुनावों में भाजपा के ताला मरांडी बोरियो से विधायक बने। अब दोनों एक ही मंच पर हैं, जिससे 2024 के चुनाव परिणाम पर सवाल खड़ा हो गया है।
राजनीतिक धुरंधर लोबिन बोरियो से लड़ेंगे चुनाव
लोबिन हेम्ब्रम ने भाजपा में शामिल होते ही बोरियो से चुनाव लड़ने की घोषणा की। झामुमो में रहते हुए उन्होंने अपनी ही सरकार को कई बार आईना दिखाया और उन्हें एहसास था कि आगामी चुनाव में झामुमो का टिकट मिलने की संभावना कम है। अब भाजपा में शामिल होकर उन्होंने बोरियो सीट पर टिकट की दावेदारी भी की होगी। हालांकि, भाजपा में शामिल होने के बाद भी लोबिन की राजनीतिक सूझबूझ और निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने की क्षमता को नकारा नहीं जा सकता।
बढ़ेगी गुटबाजी या फिर पढ़ाया जाएगा एकता का पाठ?
अब सवाल यह है कि लोबिन की भाजपा में एंट्री से पार्टी में गुटबाजी बढ़ेगी या पार्टी एकजुटता को प्राथमिकता देगी? बोरियो विधानसभा में ताला मरांडी फिलहाल चुप हैं, लेकिन 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले सूर्य नारायण हांसदा नाराज बताए जा रहे हैं। हांसदा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के करीबी माने जाते हैं और उन्होंने 2019 में भाजपा के टिकट पर बोरियो से चुनाव लड़ा था।
2019 में त्रिकोणीय मुकाबला था, अब तीनों एक मंच पर
2019 के विधानसभा चुनाव में लोबिन हेम्ब्रम, सूर्य नारायण हांसदा और ताला मरांडी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था, जबकि इस बार तीनों एक मंच पर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन तीनों कोणों में से कौन एक-दूसरे को सहारा देगा और कौन शीर्ष पर पहुंचने की कोशिश में संघर्ष करेगा। अगर गुटबाजी बढ़ती है, तो बोरियो में कमल खिलने से पहले ही मुरझा सकता है।