उज्ज्वल दुनिया/नई दिल्ली, 08 सितम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश की आकांक्षाओं को पूरा करने की कुंजी है। इसमें सरकार का दखल कम से कम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये सरकार की नहीं बल्कि देश की शिक्षा नीति है।
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यपालों और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है। उन्होंने कहा कि तीन दशक में पहली बार देश की आकांक्षाओं से जुड़ी नीति तैयार की गई है जिसका हर ओर स्वागत हो रहा है।
उन्होंने कहा कि केंद्र, राज्य सरकार और स्थानीय निकाय शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल और उसका प्रभाव कम से कम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति से शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के जुड़ने से उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता बढ़ती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति अध्ययन के बजाय सीखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर महत्वपूर्ण सोच पर जोर देती है। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा का प्राचीन केंद्र रहा है और हम इसे 21वीं सदी में भी एक ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम कर रहे हैं। नई शिक्षा नीति भारत में सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के परिसर खोलने का मार्ग प्रशस्त करती है, ताकि आम परिवार के युवा भी उनके साथ जुड़ सकें।
पीएम मोदी ने कहा कि भाषा हमारी संस्कृति का अहम अंग है लेकिन यह किसी भी प्रदेश पर थोपी नहीं जाएगी। विद्यार्थियों के बस्तों के बोझ के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं। इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से समाधान किया गया है।