झारखंड के शहरों में बाहरी लोग भर गए हैं । बिहारी और मारवाड़ी भर गए हैं । आदिवासी शहरों से धीरे-धीरे बाहर धकेल दिए जा रहे हैं । इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है । उक्त बातें झारखंड के वित्त मंत्री सह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरावं ने कही । वे झारखंड में प्रेस क्लब सभागार में महुआ कॉन्फ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे ।
प्रकृति से दूर रहना ही सारी बुराई की जड़
डॉ रामेश्वर राव ने प्रकृति से दूर हो जाने के कारण समाज में बढ़ रही कमियों को बताया । उन्होंने कॉन्फ्रेंस में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम लोग प्रकृति से दूर होने की वजह से दिन प्रतिदिन कमज़ोर होते जा रहे हैं । हमारे शरीर को स्वस्थ और चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए जंगल में मिलने वाले कुदरती फल फूल बहुत सहायक होते हैं । इसके लिए वनोपज का संरक्षण होना बहुत ज़रूरी है ।
प्रकृति के कमज़ोर होने से आदिवासियों का शोषण
मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने आगे कहा कि झारखंड में प्रकृति के कमजोर होने की वजह से आदिवासियों का शोषण हो रहा है । रांची में दूसरे लोग भी रहते हैं। यहां पर बिहार के लोग आ गए हैं, मारवाड़ी भी आ गए हैं । शहरों से आदिवासी हटते जा रहें हैं । शहरीकरण होने की वजह से आदिवासी कमजोर हो गए हैं । सरकार की तरफ से आदिवासियों की मदद करने के लिए प्रयास किया जा रहा है ।