Friday 18th of October 2024 03:26:11 PM
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किसानों को अपनी लड़ाई लड़नी है तो जाति

रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह खाद्य आपूर्ति एवं वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि बारदोली में अंग्रेज हुकूमत की निर्मम लगान वृद्धि के बाद किसानों की अडिगता ने ब्रिटिश हुकूमत के पांव तले जमीन खिसका दी। बारदोली सत्याग्रह की सफलता को आज हर एक हिंदुस्तानी को करीब से जानने की आवश्यकता है, ताकि जब हमारे देश के अन्नदाता पर अत्याचार हो तो हम राजनीतिक दलों,धर्मों, क्षेत्रों और जातियों में न बटें। 

डा रामेश्वर उराँव ने कहा बारदोली सत्याग्रह के विजय के महत्व को गांधी जी के इन शब्दों में समझा जा सकता है बारदोली संघर्ष चाहे जो कुछ भी हो यह स्वराज की प्राप्ति के लिए संघर्ष नहीं है, लेकिन इस तरह का हर संघर्ष हर कोशिश हमें स्वराज के करीब पहुंचा रहा है। बारदोली से इसी सत्याग्रह ने बल्लभ भाई पटेल को सरदार पटेल बनाया, बारदोली की महिलाओं ने बल्लभ भाई पटेल के सरदार का नाम दिया और गांधी जी ने भरी सभा में सरदार नाम दोहराए।

कांग्रेस विधायक दल नेता आलमगीर आलम ने कांग्रेस की धरोहर सत्ताइसवीं वीडियो को अपने सोशल मीडिया हैंडल फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप,इंस्टाग्राम पर जारी करते हुए कहा कि बारदोली के सरदार पटेल साहब हैं और उनका सत्याग्रह केवल किसान एकता का प्रतीक नहीं था बल्कि हिंदू मुस्लिम एकता को नए पैमाने पर स्थापित करने का आंदोलन भी है,बारदोली का सत्याग्रह हमें भारत से प्यार करने का संदेश देता है। 

आलमगीर आलम ने कहा बारदोली सत्याग्रह के दमदार नेतृत्व करता अंग्रेजी हुकूमत को झुका देने वाले बल्लभ भाई पटेल से बारदोली की महिलाएं अत्यंत प्रभावित हुई और उन्होंने सरदार की उपाधि दी जिसके बाद 27 हजार किसानों के आंदोलन के सफल नेता वल्लभभाई तत्कालीन भारत के 87 करोड़ लोगों यानी पूरे देश के सरदार बन गए।

सोशल मीडिया के माध्यम से धरोहर वीडियो की सत्ताइसवीं वीडियो जारी करते हुए राजेश गुप्ता छोटू कहा कि बल्लभ भाई पटेल के सरदार बनने की कहानी बारदोली सत्याग्रह से जुड़ी है,बारदोली सत्याग्रह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में हुआ एक प्रमुख किसान आंदोलन था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया ।दरअसल 1928 में प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में 30% की बढ़ोतरी कर दी इसके बाद पटेल ने इस लगान विरोध वृद्धि का जमकर विरोध किया हालांकि ब्रिटिश हुकूमत वाली सरकार ने सत्याग्रह को कुचलने के लिए कई कड़े कदम उठाए मगर वल्लभभाई के दृढ़ता के आगे अंग्रेजी सरकार लाचार हो गई और अंततः विवश होकर किसानों की मांगों को मानना पड़ा।दो अधिकारियों की जांच के बाद ब्रिटिश सरकार ने 30 फ़ीसदी लगान को गलत माना और उसे घटाकर 6 फ़ीसदी कर दिया।आज देश को इसी प्रकार के दृढ़ निश्चय के साथ किसान विरोधी निर्णय के खिलाफ आंदोलन करने की जरूरत है । 

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