पंजाब से लेकर राजस्थान, बंगाल से लेकर तेलंगाना और यूपी से लेकर बिहार तक , न जाने कहां-कहां टूट-फूट की खबरें आ रही हैं। ऐसा लगता है जैसे विधायक भेड़ हैं और दूसरी पार्टियों के आलाकमान भेड़िए….अकेला देखा नहीं कि शिकार कर लेंगे ।
बिहार
बिहार में लोजपा के बंगले का चिराग बुझाने के बाद नीतीश पंजा मरोड़ने में जुटे हैं। कांग्रेस से जेडीयू में आए अशोक चौधरी और एक जेडीयू सांसद को इस मिशन की कमान सौंपी गई है। सुनने में तो आ रहा है कि दस कांग्रेसी विधायक तैयार भी हैं, लेकिन दल-बदल कानून से बचने के लिए 13 विधायकों की जरुरत है, इसलिए मामला थोड़ा अटका हुआ है ।
यूपी
उधर यूपी में बबुआ ने बुआ की टोंटी चुरा ली । दरअसल हुआ ये कि बसपा के विधायकों को ये लगने लगा कि बहन जी अब बुआजी हो गई हैं। उनमें न पहले वाली आग रही, न तेवर । उपर से नोटबंदी ने पार्टी को पाई-पाई का मोहताज बना दिया। अब ये विधायक मनुवाद से लड़ने और देश को सांप्रदायिक शक्तियों से बचाने की खातिर लाल टोपी के करीब पहुंच गए। बहनजी को पता चला तो वे बबुआ से बेहद नाराज़ हुईं। महागठबंधन तो दूर की बात, कह दिया कि “बबुआ तोहरे प्यार में, लुट गए हम बाजार में” । लिहाजा अब समाजवाद और बहुजनवाद का रिश्ता कभी नहीं होना…अब बहनजी तो भगवा दल और बुढ़ी पार्टी की गुड्डी, दोनों से संपर्क में है । इधर 11 बागी बोल रहे हैं कि हम अपनी पार्टी बनाएंगे, लेकिन दो ने बीजेपी से संपर्क किया है, 07 समाजवादी पार्टी में जाना चाहते हैं और दो बहनजी से माफी मांग रहे हैं।
पंजाब
पंजाब में तो कैप्टन पिच पर ऐसा खूँटा गाड़कर बैटिंग कर रहे हैं कि भूतपूर्व ओपनर को समझ नहीं आ रहा कि उन्हें स्ट्राइक कब मिलेगा? अमृतसर से दिल्ली तक एक कर दिए लेकिन बाजवा की तरह कैप्टन साहब गले लगाने को तैयार नहीं। उधर मोटा भाई ने संदेशा भिजवाया है कि जिन बादलों से दुश्मनी के कारण आप हमें छोड़कर गये थे, वो बादल तो बेवफा निकले । आपको कांग्रेस में कोई नहीं पूछ रहा, हमको पंजाब में मजनू बनाकर छोड़ दिया है। किसान मजनूँ को पत्थर मार रहे हैं, सो ओ मेरी लैला, नाराजगी छोड़… आ अपना पुराना प्यार तुझे पुकार रहा है । तू भी तो गा दे- ” कोई पत्थर से ना मारे, मेरे दिवाने को” ।
लेकिन चक दे फट्टे, मार दे गिल्ली, सुबह जालंधर, शाम को दिल्ली…जैसी वाहियात कमेंट्रेटर जानते हैं कि अभी पंजाब और हरियाणा का माहौल किसानों की वजह से हरा है, वहां भगवा नहीं चलेगा।
राजस्थान
जूनियर पायलट कितनी भी कोशिश कर लें, उनका प्लेन लैंड ही नहीं हो रहा? जयपुर में विधायकों की ताकत दिखाते हैं और दिल्ली में मिसेज वाड्रा उन्हें मना लेती है । “ओ ले ले मेले बाबू सोना…” कितना मासूम बच्चा है…उधर जैसे ही ये मानते हैं, उधर से कमल वाली बाई जवानी को धिक्कारती है -“तुझसे न हो पाएगा” इत्ते में फिर से तनकर खड़े हो जाते हैं। कुल मिलाकर तोतले जादूगर के आगे इनका कोई भी दांव चल नहीं पा रहा…लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है।
बंगाल
चुनाव खत्म हो गए लेकिन दीदी का खेला चालू है । काली माता के आगे “भक्त” थर-थर कांप रहे हैं। कुछ ने तो राम नाम छोड़ कर “जय काली, कलकत्ते वाली” का जाप शुरू कर दिया है, कई और तैयार हैं। लोटा, झोंटा और सोंटा सब त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रहे हैं। छप्पन इंच वाले बस यही कह रहे हैं-” इस बार मारा तो ठीक, अगली बार मारा तो देख लेगा”