महज चार महीने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आखिरकार इस्तीफा दे ही दिया। उनका छोटा सा कार्यकाल काम से ज्यादा फालतू बयानबाज़ी के लिए जाना जाएगा। कभी महिलाओं की फटी जींस पर टिप्पणी तो कभी कुंभ स्नान को कोरोना की दवा बताकर अपनी फजीहत करवाते रहे हैं। लेकिन यहां त्रिवेन्द्र सिंह रावत के इस्तीफे की वजह कुछ और है ।
संवैधानिक संकट से बचने के लिए बीजेपी ने लिया इस्तीफा
त्रिवेन्द्र सिंह रावत विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। सीएम बनने के बाद उन्हें 6 महीने के अंदर चुनाव जीतकर विधानसभा का सदस्य बनना था । लेकिन यहीं पर पेंच फंस गया। जिस राज्य में सालभर के अंदर विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां उपचुनाव नहीं कराया जा सकता। क्या यह बात बीजेपी के रणनीतिकारों को पता नहीं थी ?
ब्राह्मण या राजपूत, उत्तराखंड का अगला सीएम कौन ?
त्रिवेन्द्र सिंह रावत के बाद भाजपा उसी शख्स को मुख्यमंत्री बनाएगी जो पहले से विधानसभा का सदस्य है । ये भी तय है कि ब्राह्मण या राजपूत में से ही कोई मुख्यमंत्री बनेगा। अब सतपाल महाराज और धन सिंह रावत के समर्थक अपने-अपने नेता के पक्ष में एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। कल केन्द्रीय पर्यवेक्षक के रूप में नरेन्द्र सिंह तोमर को भेजा गया है।