कोटा: जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव युद्ध के कगार तक पहुंच गया, तब केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने 9 मई को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र भेजकर सिविल डिफेंस रूल्स, 1968 के तहत विशेष आपातकालीन प्रावधानों को लागू करने का निर्देश दिया।
इस आदेश में सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स की भूमिका को विशेष रूप से रेखांकित किया गया, जिन्हें आपात स्थिति में सशस्त्र बलों की सहायता के लिए तैयार रहने को कहा गया।
ETV Bharat आपके लिए लेकर आया है एक आसान और स्पष्ट व्याख्या: कौन होते हैं सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स और क्या होती है इनकी जिम्मेदारी?
सिविल डिफेंस रूल्स, 1968 क्या हैं?
ये नियम सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के तहत बनाए गए थे, जिनका उद्देश्य नागरिक आबादी और ढांचे को शत्रु देश के हमलों—चाहे वो हवा, जमीन या समुद्र से हों—के खिलाफ तैयार करना है।
इस अधिनियम के तहत सिविल डिफेंस कॉर्प्स का गठन किया जाता है जो युद्ध या आपात स्थिति में रक्षा बलों की सहायता करता है। राज्य सरकारें या केंद्र शासित प्रदेशों की प्रशासनिक इकाइयां किसी अधिकारी (जिला कलेक्टर या उससे उच्च पद) को इस कॉर्प्स का “कंट्रोलर” नियुक्त करती हैं।
सदस्यता और योग्यता
राज्य सरकारें उन व्यक्तियों को सिविल डिफेंस कॉर्प्स का सदस्य बना सकती हैं जो इस कार्य के लिए इच्छुक और सक्षम हों। कंट्रोलर की राय में जो सदस्य उपयुक्त हो, उसे विभिन्न पदों पर नियुक्त किया जा सकता है। यदि किसी सदस्य का प्रदर्शन असंतोषजनक हो, तो उसे सेवा से हटाया भी जा सकता है।
मुख्य कार्य और दायित्व
सिविल डिफेंस सदस्य निम्नलिखित कार्यों में मदद करते हैं:
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आपदा प्रबंधन और नागरिक बचाव में सहयोग
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मेडिकल, लॉजिस्टिक्स, संचार और तकनीकी सहायता
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युद्धकालीन आपात स्थिति में सशस्त्र बलों के साथ काम
राज्य सरकार या कंट्रोलर इन वॉलंटियर्स को प्रशिक्षण के लिए बुला सकते हैं और आवश्यकतानुसार तैनात कर सकते हैं।
कोटा में 8000 वॉलंटियर्स
कोटा जिला सिविल डिफेंस प्रमुख शिवदान सिंह मारू के अनुसार, कोटा में 8000 से अधिक सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स सक्रिय हैं, जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, नर्स, शिक्षक, वकील और अन्य सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि संगठन में वालंटियर, सेक्टर वार्डन (हर 2000 की आबादी पर), पोस्ट वार्डन (10,000), डिवीजन वार्डन (2 लाख), और चीफ वार्डन (10 लाख से ऊपर की आबादी पर) का पद होता है। शीर्ष पर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर “कंट्रोलर” होते हैं।
आईएएस और आईपीएस जैसे प्रशासनिक अधिकारियों को भी चयन के बाद छह दिन का सिविल डिफेंस प्रशिक्षण दिया जाता है।
निष्कर्ष
जब देश संकट में होता है, तो केवल सेना ही नहीं, नागरिक भी मैदान में उतरते हैं। सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स हमारे “सिविक सोल्जर्स” हैं, जो बिना हथियार के राष्ट्र सेवा में लगे हैं—और यही भारत की असली ताकत है।