
झारखंड की राजनीति में आजकल एक शब्द की बड़ी चर्चा है । वो शब्द है – “डॉमिनेटिंग” । मुुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहते हैं कि भोजपुरी मगही बोलने वाले बड़े डॉमिनेटिंग होते हैं । हेमंत बाबू ने तो यह भी कहा कि आदिवासी बड़े कमजोर हैं और भोजपुरी-मगही बोलने वाले उनको दबा कर रखते थे । लेकिन यहां सवाल है कि झारखंड के अंदर जो महागठबंधन की सरकार चल रही है, उसमें डॉमिनेटिंग पार्टनर कौन है ?
क्या कांग्रेस है महागठबंधन की डॉमिनेटिंग पार्टनर है ?
हाल ही में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई थी । उस बैैठक में रामगढ़ विधायक ममता देवी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस के विधायकों की बात एक थानेदार तक नहीं सुनता। कांग्रेस की दो अन्य महिला विधायकों क्रमशः दीपिका पांडे सिंह और अंबा प्रसाद के खिलाफ एफ आई आर तक दर्ज हो चुुकी है । हमें लगा कि सिर्फ कांग्रेस की महिला विधायकों की ही कोई नहीं सुुुुनता होगा, बाकी सब एकदम सत्ताधारी विधायकों की तरह सम्मान पाते होंगे ।
दूसरे कांग्रेसी विधायकों को भी मिलता रहा है
लेकिन बात सिर्फ चार महिला विधायकों तक नहीं सिमटी रही, आलमगीर आलम तक के होटल को नोटिस जारी कर दिया। उमाशंकर अकेला, इरफान अंसारी, राजेश कच्छप आदि करीब आधा दर्जन से अधिक कांग्रेसी विधायकों को समय-समय पर सरकार में रहने का सम्मान मिलता रहा है।
केएन त्रिपाठी ने आखिर क्यों कहा ,”मजबूर नहीं, मजबूत पार्टनर” बने कांग्रेस
पलामू प्रमंडल से कांग्रेस के बड़े नेता के एन त्रिपाठी ने विधानसभा सत्र के दौरान ही संवाददाता सम्मेलन में बड़े मार्के की बात कही थी ।उन्होंने कांग्रेस को हमेशा ये भी देखना चाहिए कि अगर झामुमो ने हमारा साथ छोड़ दिया तो क्या हम अपने कोर वोटर के पास क्या कहते हुए जाएंगे । उन्होंने कहा था कि कांग्रेस को मजबूर नहीं, मजबूत पार्टनर की तरह रहना चाहिए।
क्या आरजेडी है डॉमिनेटिंग पार्टनर ?
सत्यानंद भोक्ता ने श्रम मंत्री रहते हुए प्रवासी मजदूरों को वापस लाने के लिए बहुत मेहनत की थी ।लेकिन उस प्रयास का क्रेडिट कोई और उड़ा ले गया। इतना भी डॉमिनेटिंग नहीं होना चाहिए