राजद की स्थापना के 25 साल बीतने पर लालू प्रसाद यादव ने वर्चुअल माध्यम से कार्यकर्ताओं को संबोधित किया । उन्होने कहा कि हाल ही में विधानसबा चुनाव हुआ । हम जेल में थे। हमें पता था कि हमारे लोगों को मेरी जरुरत है। लेकिन हम तड़पते रह गये, उनलोगों ने जमानत नहीं दी। जब हम अकेले में दुखी होते थे तो तेजस्वी यादव हिम्मत बढ़ाते थे, कहते थे कि- “पापा, आप दुखी मत हों, सब ठीक होगा” ।
नीतीश शुरुआत से मंत्री पद के भूखे
लालू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार को मैं बहुत पहले से जानता हूं । वे जवानी के दिनों से ही पद के लालची थे। सबसे पहले हमने ही उन्हें विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में कृषि राज्यमंत्री बनाया था। ये नीतीश के जीवन में उनको मिला पहला मंत्रीपद था। लालू प्रसाद यादव ने कहा कि हमने हमेशा समाज के शोषित, वंचित और सताये हुए लोगों की लड़ाई लड़ी लेकिन कभी किसी के सामने पद के लिए पैरवी नहीं की।
लालू ने नंगे पैर गांव-गांव घूमकर दलितों-पिछड़ों को अधिकार दिलाया
लालू प्रसाद यादव ने कहा कि 90 के दशक से पहले बिहार के गांवों में दलित वर्ग के लोगों को खटिया या कुर्सी पर बैठने नहीं दिया जाता था। बस की सीट पर अगर कोई दलित बैठ गये तो बाबू लोग उसे डांटकर पीछे भगा देते थे। हमने ऐसे लोगों को आवाज दी, उनके हक के लिए लड़ाई लड़ी। यही मेरे जीवन भर की पूंजी है।
साजिश कर मुझे और मेरे परिवार को प्रताड़ित किया गया
लालू प्रसाद यादव ने कहा कि उन्होने सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए पार्टी बनाई थी। हमने तीन-चार लोगों को प्रधानमंत्री बनने में सहयोग किया । लेकिन गरीबों के लिए लड़ने के बदले हमें क्या मिला। मुझे और मेरे परिवार को फंसाया गया। हमने कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाया। हमें भारत की न्याय व्यवस्था में पूरा यकीन है। हमने कभी अपने राजनीतिक विरोधियों के परिवार और बाल-बच्चों को नहीं लपेटा, लेकिन उनलोगों ने मेरी बेटी, बेटे और दामाद को भी राजनीति में फंसाने की साजिश रची। बिहार का गरीब-पिछड़ा समाज सब देख रहा है, वो सब समझता है।