अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से एक अप्रत्याशित और भावनात्मक अपील की, जिसमें उन्होंने यूक्रेन में घिरे हजारों सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह किया। यह बयान ऐसे समय पर आया है जब उनके विशेष दूत ने मॉस्को में पुतिन के साथ संभावित युद्धविराम को लेकर गहन वार्ता की। इस कूटनीतिक पहल ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है, क्योंकि यह संकेत देता है कि अमेरिका और रूस के बीच पर्दे के पीछे बड़े समझौते की तैयारी हो सकती है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “हमारी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ चर्चा बेहद उपयोगी रही। इस भयावह और रक्तरंजित युद्ध को समाप्त करने की एक वास्तविक संभावना नजर आ रही है।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने विशेष रूप से पुतिन से अनुरोध किया कि यूक्रेनी सैनिकों के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई न की जाए और मानवीय आधार पर उन्हें सुरक्षित निकलने का अवसर दिया जाए। “यह एक भीषण नरसंहार बन सकता है, जैसा कि हमने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नहीं देखा। भगवान उन सभी की रक्षा करें!” ट्रंप के इस बयान ने पश्चिमी जगत में गंभीर चर्चाओं को जन्म दिया है, क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने रूस के साथ शांति वार्ता को बढ़ावा देने की कोशिश की हो।
हालांकि, कीव ने तुरंत इस दावे का खंडन किया कि उसके सैनिक पूरी तरह से घिरे हुए हैं। यूक्रेनी अधिकारियों ने इसे “वास्तविकता से परे” बताया, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिला कि युद्ध के मैदान पर परिस्थितियां कितनी जटिल बनी हुई हैं।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लिविट ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि ट्रंप और पुतिन के बीच कोई सीधी बातचीत नहीं हुई, बल्कि उनके विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने गुरुवार देर रात रूसी राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ट्रंप और पुतिन की चर्चा संभावित है और किसी भी समय वार्ता का नया दौर शुरू हो सकता है।
रूसी प्रशासन की ओर से भी उत्साहजनक प्रतिक्रिया आई। क्रेमलिन के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि पुतिन ने अमेरिका को युद्धविराम के लिए “अतिरिक्त सकारात्मक संकेत” भेजे हैं और वार्ता को लेकर “संयमित आशावाद” रखा गया है। सूत्रों का कहना है कि मॉस्को और वाशिंगटन के बीच पर्दे के पीछे एक व्यापक समझौते पर बातचीत हो रही है, जिसमें न केवल युद्धविराम बल्कि संभावित भू-राजनीतिक बदलावों पर भी विचार किया जा सकता है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। अगर ट्रंप की मध्यस्थता से रूस और यूक्रेन के बीच कोई समझौता होता है, तो यह उनके लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जाएगी, खासकर 2024 के चुनावों के बाद उनकी छवि को देखते हुए। वहीं, यूरोपीय संघ और नाटो के सदस्य इस वार्ता को संदेह की नजर से देख रहे हैं, क्योंकि यह उनके व्यापक रणनीतिक उद्देश्यों पर प्रभाव डाल सकता है।
अभी तक ट्रंप और पुतिन की सीधी बातचीत को लेकर कोई निश्चित तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन संकेत साफ हैं कि दोनों पक्ष जल्द ही एक और महत्वपूर्ण कदम उठाने वाले हैं। क्या यह पहल वास्तव में युद्ध को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेगी, या यह सिर्फ एक और राजनैतिक पैंतरा साबित होगी? दुनिया की निगाहें इस ऐतिहासिक घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं।