खुद को आदिवासियों का मसीहा/हितैषी बताने वाले नेता ही जब आदिवासी बेटी के लिये न्याय की मांग का सौदा करने लगे तो भला हमारे निश्छल(भोले-भाले) आदिवासी भाई-बहन किस पर विश्वास करें..? न्याय और अन्याय की लड़ाई में कौन उनके साथ खड़ा होगा..?
ये बातें हटिया विधायक नवीन जायसवाल ने कही । उन्होंने कहा कि झारखंड की बेटी रूपा तिर्की की मौत संदेहास्पद परिस्थितियों में हो जाती है । उसके परिजनों के साथ-साथ पूरा विपक्ष चीख-चीख कर सीबीआई जांच की मांग सरकार से करता है,मगर झारखंड सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती है । खुद को आदिवासियों की हितैषी बताने वाली वर्तमान झारखंड सरकार और उसका पूरा सरकारी महकमा दोषियों को बचाने में जुट जाता है,सिर्फ इसलिए कि आरोप एक ऐसे शख्स पर है जो सूबे के मुखिया का सबसे करीबी है,और उनका प्रतिनिधि भी है ।
नवीन जायसवाल ने कहा कि बात यहीं खत्म नहीं होती । कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और आदिवासियों के स्वघोषित मसीहा सत्तारूढ़ दल के एक विधायक आदिवासी बेटी की मौत का सौदा करने पहुंच जाते हैं । रूपा के परिजनों को सीबीआई जांच की मांग नहीं करने के लिए प्रलोभन देते हैं । डीएसपी रैंक का एक अधिकारी रूपा के पिता को धमकी देता है । उस पर झूठे मुकदमे करवाता है,सिर्फ इसलिए की न्याय की जो मांग उसके परिजन कर रहे हैं उसको दबाया जा सके ।
हटिया विधायक ने सवाल किया कि क्या एक पिता अपनी बेटी के लिए इंसाफ की मांग भी नहीं कर सकता ? एक आदिवासी परिवार की बेटी का छोटे से गांव से सीमित संसाधनों में पढ़-लिख कर दरोगा बनना पूरे राज्य के लिए गौरव की बात थी । रूपा अपने कार्यों एवं ईमानदारी की वजह से पूरे राज्य का नाम रौशन कर रही थी । अचानक उसकी मौत संदेहास्पद परिस्थितियों में हो जाती है । मॄत्योपरांत उसकी तस्वीरें और अन्य कई परिपेक्ष्यों को सुनने व देखने के उपरांत ये साफ-साफ प्रतीत होता है कि रूपा की मृत्यु पूरी तरह संदिग्ध है । संभव है कि रूपा तिर्की किसी बड़ी साजिश की शिकार हो गयी हो,पर सत्ता में बैठे लोग अपनी पोल खुलने के डर से उसकी मौत का सौदा करने में लगे हुए थे ।
नवीन जायसवाल ने कहा कि अब जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने रूपा तिर्की की मौत को असामान्य मानते हुए सीबीआई जांच कराने की बात कही है तो सीबीआई को ये भी जांच करना चाहिए कि किन परिस्थितियों में और किस मकसद से कांग्रेस पार्टी के विधायक बंधु तिर्की जी रूपा के परिजनों को सीबीआई जांच की मांग नहीं करने और राज्य सरकार द्वारा गठित कमिटी से ही न्यायिक जांच करवाने के फैसले पर सहमति जताने के लिए बाध्य कर रहे थे । कहीं ये अपरोक्ष रूप से दोषियों को बचाने की कवायद तो नहीं थी..? आखिर ऐसी क्या परिस्थितियां रही होंगी कि माननीय विधायक जी को घंटों बैठ कर सीबीआई की कमियां और उसकी बुराई बताने तथा राज्य सरकार द्वारा गठित टीम की तारीफ के पुल बांधने पड़े । सीबीआई जांच के दौरान मिले ऑडियो क्लिप से ये साफ जाहिर होता है कि सरकार के दूत के रूप में बंधु तिर्की पीड़ित परिवार को सीबीआई जांच की मांग के बदले कई प्रलोभन देने में जुटे हुए हैं । ऐसे में ऑडियो में की गई वार्ता को भी संदेहास्पद मानते हुए सीबीआई को इसके दूसरे पहलुओं को भी खंगालना चाहिये ।
उन्होंने कहा कि एक आदिवासी बेटी के न्याय की लड़ाई को कौन और क्यों दबाना चाहता है , ये सत्य सबके सामने आना चाहिए ? झारखंड की बेटी को हर हाल में इंसाफ मिलना ही चाहिये ।आदिवासी समाज के हितैषी होने का ढोंग रचने वाले सत्तारूढ़ दल और उसके नेताओं का असली चेहरा राज्य की जनता के सामने दिख गया है। उन्होंने कहा कि आदिवासी के नाम पर आदिवासियों का शोषण करने वालों से आदिवासी जनता सावधान रहे ।