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…तो इसीलिए प्राइवेट का मुकाबला नहीं कर पाते सरकारी स्कूल

शिक्षकों को गंभीरता से देखनी होगी बच्चों की भूल
शिक्षकों को गंभीरता से देखनी होगी बच्चों की भूल

उज्ज्वल दुनिया संवाददाता/ सजल पाठक

पदमा। शिक्षा पर लाखों-करोड़ों खर्च करने के बाद भी आखिरकार प्राइवेट स्कूलों का मुकाबला सरकारी स्कूल क्यों नहीं कर पाते। इसकी मूल वजह में जाएंगे, तो कई बातें सामने आती हैं। ताजा मामला हजारीबाग के पदमा प्रखंड स्थित उत्क्रमित हाई स्कूल सरैयाडीह का आया है।

यहां दसवीं कक्षा के बच्चों की कॉपियों को सही तरीके से शिक्षक नहीं देखते। सवालों के उनके दिए गलत उत्तर पर भी आंखें बंद कर हस्ताक्षर कर देते हैं। ऐसे में बच्चों को अपनी भूल या गलतियों का अहसास नहीं हो पाता है और अपने लिखे गलत जवाब को ही सही मान बैठते हैं। चूंकि शिक्षकों के उस पर हस्ताक्षर और सही टिक रहते हैं। ऐसे में लापरवाही से बच्चों की कॉपियों का मूल्यांकन नौनिहालों के भविष्य को दांव पर लगाने जैसा है।

 

इस स्कूल में एक बच्चे के नागरिक शास्त्र की कॉपियों का मूल्यांकन कुछ ऐसे ही किया गया है। नीचे न सिर्फ संबंधित शिक्षक के हस्ताक्षर हैं, बल्कि सवालों से संबंधित कुछ मार्गदर्शन भी लिखे हैं। यहां ध्यान योग्य बातें यह है कि हाई स्कूल में विषयवार शिक्षक हैं अर्थात उनपर दूसरे विषयों का बोझ भी नहीं है।

बहरहाल इस संबंध में संबंधित शिक्षक से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि 20-25 कॉपियों का मूल्यांकन करना पड़ता है, ऐसे में शब्दों की गलतियों पर ध्यान नहीं गया। इस बारे में पदमा के बीइइओ (प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी) नागदेव से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि आदेश पत्र निकालकर शिक्षकों को गंभीरता से कॉपियों का मूल्यांकन करने को कहेंगे।

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