Friday 26th of December 2025 03:34:50 AM
HomeBreaking Newsझारखंड के माथे से मिटेगा मानव तस्करी का कलंक

झारखंड के माथे से मिटेगा मानव तस्करी का कलंक

कैलेंडर बता रहा था 2 फरवरी 2020. हेमन्त सोरेन के झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने का वह 36वां दिन था. उनके ट्विटर हैंडल से सभी जिलों के उपायुक्तों को मानव तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था. तब से लेकर अब तक राज्य सरकार मानव तस्करी रोकने और प्रवासी श्रमिकों के मान-सम्मान के लिए लगातार प्रयासरत है. ग्रामीण इलाकों में मानव तस्करी पर नजर रखने के लिए विशेष महिला पुलिस ऑफिसर की नियुक्ति की जाएगी ।

सरकार श्रमिकों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध
सरकार श्रमिकों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध

प्रवासी श्रमिकों और लापता महिलाओं की हुई वापसी

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के देवरिया में फंसे 33 प्रवासी श्रमिकों के बंधक होने का पता चला. मुख्यमंत्री ने संज्ञान लिया और तुरंत अधिकारियों को उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए हर आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया. अधिकारी हरकत में आये और 33 प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित झारखंड वापस लाया गया. ईंट भट्ठे से लापता हुई दो महिला श्रमिकों को भी वापस रांची ले आया गया. ये महिलाएं लोहरदगा की थीं. ईंट भट्ठे के संचालक ने दोनों महिलाओं को अगवा कर लिया था. इनसे संबंधित जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने उन महिलाओं को वापस लाने के निर्देश दिए थे ।

मानव तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान

7 नवंबर 2020 को 45 लड़कियों को बचाया गया और उन्हें दिल्ली से एयरलिफ्ट किया गया. फ़रवरी 2021 में दिल्ली से 12 लड़कियों और दो लड़कों सहित 14 नाबालिगों को छुड़ाया गया. इन लड़कियों को रोजगार के बहाने हायरिंग एजेंसियों के जरिए दिल्ली ले जाया गया था. 24 जून 2021 को पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में रांची रेलवे स्टेशन और बिरसा मुंडा हवाई अड्डे से लगभग 30 नाबालिग लड़कियों और लड़कों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया. इन सभी को तस्करी कर दिल्ली ले जाया जा रहा था. जून 2021 में ही, मुख्यमंत्री को तमिलनाडु के तिरुपुर में फंसे 36 आदिवासी लड़कियों / महिलाओं के बारे में पता चला. उनमें से कई लोगों ने कोविड-19 की स्थिति के कारण अपनी नौकरी खो दी थी और उनके पास घर लौटने का कोई साधन नहीं बचा था. मुख्यमंत्री के निर्देश पर उन सभी को ट्रेन के माध्यम से वापस दुमका लाया गया.

सरकार को है सभी का ध्यान

देश भर से लौटे या मुक्त हुए मानव तस्करी के शिकार लोग या प्रवासी श्रमिकों को न केवल सरकारी खर्च पर वापस लाया जा रहा है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं से आच्छादित भी किया जा रहा है. उनके कौशल के आधार पर उनके जिले में उन्हें काम उपलब्ध कराया गया है. मानव तस्करी से छुड़ाई गई बच्चियों के पुनर्वास के लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं. उनके उज्ज्वल भविष्य और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक 2,000 रुपये का जीवनयापन खर्च, मुफ्त शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से मानव तस्करी के मामले में बदनाम जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयों की स्थापना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है.

 

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments