
2022 में आरजेडी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना है. चुनाव में अभी वक्त तो काफी है, लेकिन माहौल तो पहले से ही बनाना जरूरी होता है. ये तो पहले ही घोषित किया जा चुका है कि लालू यादव के राजनीतिक उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव हैं. रही सही कसर बिहार चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर पूरी कर दी गयी, लेकिन आरजेडी अध्यक्ष के पद पर तो अभी तक लालू यादव ही बने हुए हैं.
नवंबर, 2022 में राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर लालू यादव का कार्यकाल पूरा हो रहा है. लालू यादव की सेहत सही नहीं चल रही है और पार्टी के रजत जयंती समारोह में ये महसूस भी किया गया था. हालांकि, विपक्षी नेताओं से मुलाकात की जो तस्वीरें आ रही हैं, उनमें लालू यादव बेहतर लग रहे हैं – ऐसे में मुमकिन है लालू यादव अध्यक्ष की कुर्सी भी मुमकिन है तेजस्वी यादव को सौंप दें.
अब जगदानंद सिंह जैसे नेता भले ये मान लें कि कुर्सी पुश्तैनी नहीं है, लेकिन तेज प्रताप यादव कैसे हजम कर लें – और तेज प्रताप ही क्यों ये सब तो मन में मीसा भारती के भी चल ही रहा होगा. लालू यादव की एक और बेटी रोहिणी आचार्य को भी चुनावों के दौरान सोशल मीडिया पर खासा एक्टिव देखा गया. ऐसा कैसे हो सकता है कि उनकी जरा भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा न हो.

लालू यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती फिलहाल राज्य सभा की सांसद हैं – और जाहिर है राजनीति में तेजस्वी से पहले से सक्रिय रही हैं. संगठन में भी उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है. कार्यकर्ताओं में उनके प्रति अलग से आदर भाव देखा जाता है, जो सिर्फ लालू यादव की बेटी होने की वजह से ही नहीं बल्कि उनके निजी बात व्यवहार के चलते देखने को मिलता है.
2015 में हुए बिहार चुनाव के दौरान एक चर्चा रही कि तेज प्रताप को मंत्री बनवाने में बड़ी भूमिका मीसा भारती की ही रही – और आगे चल कर मीसा भारती को राज्य सभा पहुंचाने में तेज प्रताप यादव ने जोर लगा रखी थी.
कहने को तो तेज प्रताप खुद को कृष्ण और तेजस्वी यादव को अर्जुन बताते हैं, लेकिन ये तो ऐसा लगता है जैसे भाई-बहन मिलकर ही तेजस्वी यादव की राह में रोड़े अटकाने की कोशिश कर रहे हों – और लालू यादव के सामने ये झगड़ा खत्म करना सबसे बड़ा चैलेंज साबित हो सकता है.