उज्ज्वल दुनिया, हजारीबाग(अजय निराला)। 22 जून से सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर अग्रसर हो जाएगा।
गौरतलब है कि पूरे वर्षभर में 21 जून को उत्तरी गोलाद्र्ध में सबसे बड़ा दिन होता है। वहीं साल की सबसे छोटी रात होती है। इस बार आज दिन की अवधि 13 घंटे 12 मिनट की रही।
दरअसल यह समर सोल्सटाइस की खगोलीय घटना है और सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की अपनी अंतिम यात्रा पर होता है।
22 जून से सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर अग्रसर हो जाएगा और इसी क्रम में आनेवाले 22-23 सितंबर को इक्वीनोक्स के प्वाइंट से होकर गुजरते हुए शून्य डिग्री पर होगा।
फिर 21-22 दिसंबर को विंटर सोल्सटाइस में ठीक इसके विपरीत नजारा होगा। उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होगी।
उत्तरी गोलार्द्ध के ठीक विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में रहने वाले लोगों के लिए 21 जून साल का सबसे छोटा दिन और रात सबसे बड़ी रही।
इस खगोलीय घटना की जानकारी देते हुए इंटरनेशनल मेगालिथिक एक्सपर्ट सह इंटेक के लाइफ मेंबर शुभाशीष दास ने बताया कि हम भारतवासी उत्तरी गोलार्द्ध में रहते हैं और इस हिसाब से आज 21 जून सोमवार का दिन हमलोगों के लिए साल का सबसे बड़ा दिन और रात सबसे छोटी रही।
उन्होंने बताया कि झारखंड में ऐसे तीन मेगालिथ साइट्स हैं, जहां से समर सोल्सटाइस के खूबसूरत सूर्योदय का नजारा प्राचीन महापाषाणीय काल में देखने की परंपरा थी।
यह मेगालिथ स्थल हजारीबाग स्थित बड़कागांव में पंकुरी बरवाडीह, गिरिडीह के बगोदर में मंझलाडीह और लोहरदगा के भंडरा में है।
उन्होंने बताया कि जब लिखित पंचांग नहीं होता था, तो अतिप्राचीन मानव ऐसे ही मेगालिथ स्थल से सूर्य के माध्यम से तिथि की जानकारी हासिल करते थे अर्थात मेगालिथिक पंचांग के रूप में इसका प्रयोग करते थे।