बेंगलुरु: बृहत्त बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) द्वारा शहर के आवारा कुत्तों को चिकन-चावल का खाना देने की योजना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पशु अधिकार कार्यकर्ता, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और आम नागरिकों ने इस योजना की नीयत, क्रियान्वयन और नगर निगम की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए हैं।
पशु अधिकार कार्यकर्ता स्वर्णिमा निषांत ने योजना को “नाटक” बताते हुए कहा कि BBMP को पहले बुनियादी ज़रूरतों जैसे बधियाकरण, टीकाकरण और कानून के प्रवर्तन पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “पहले उन्हें परिवार की तरह समझें, बाद में बिरयानी खिलाएं।”
उन्होंने कोरोना काल के दौरान की गई कृत्रिम पहलों की याद दिलाई, जो कुछ महीनों बाद बंद हो गई थीं। “शहर में रोज़ाना सैकड़ों पशु प्रेमी खुद से खर्च कर आवारा कुत्तों को संभाल रहे हैं, लेकिन BBMP उनके सहयोग की बजाय लोकलुभावन योजना लेकर आई है, जो कुछ महीनों में गायब हो जाएगी,” उन्होंने कहा।
🔹 योजना की जानकारी:
BBMP की योजना के तहत शहर के आठ ज़ोन में रोज़ाना 5,000 आवारा कुत्तों को खाना दिया जाएगा, जिसमें 150 ग्राम चिकन, 100 ग्राम चावल और कुछ सब्जियां शामिल होंगी। प्रत्येक भोजन की लागत ₹22 है। खाना FSSAI प्रमाणित किचन में तैयार होगा और CCTV निगरानी के साथ तय जगहों पर सुबह 11 बजे से पहले पहुँचाया जाएगा।
इस पायलट प्रोजेक्ट का वार्षिक बजट ₹2.9 करोड़ रखा गया है। BBMP अधिकारियों का कहना है कि इस योजना का मकसद कुत्तों में आक्रामकता को कम करना और ‘वन हेल्थ’ पहल के तहत बधियाकरण और टीकाकरण प्रयासों को समर्थन देना है।
🔹 विरोध और समर्थन:
स्वर्णिमा ने पूछा, “जब मौजूदा योजनाएं लागू नहीं हो रही हैं, तो नई योजनाएं क्यों?” उन्होंने BBMP पर गंभीर भ्रष्टाचार के इशारे भी किए।
वहीं, कुछ स्थानीय पशु प्रेमियों ने योजना का स्वागत किया है। जय नगर निवासी प्रभु, जो रोज़ाना 30 से अधिक कुत्तों को खुद के पैसों से खाना खिलाते हैं, ने कहा, “अगर BBMP स्थायी व्यवस्था लाती है तो यह अच्छा होगा। लेकिन सिर्फ खाना देना पर्याप्त नहीं, बधियाकरण अनिवार्य है।”
बीजेपी के नेताओं और सांसद डॉ. मंजूनाथ ने योजना को खतरनाक और अव्यवहारिक बताया। उन्होंने कहा, “जब एक स्कूली बच्चे के भोजन पर ₹12.42 खर्च होता है, तो एक कुत्ते पर ₹22 क्यों? इस योजना से भ्रष्टाचार और भी बढ़ेगा।”
🔹 स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय:
जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. अनन्या राव ने आगाह किया, “खाना देने से कुत्तों का व्यवहार अस्थायी रूप से सुधर सकता है, लेकिन यदि बधियाकरण नहीं हुआ तो यह प्रजनन और समूह आक्रामकता को बढ़ा सकता है।”
BBMP का कहना है कि यह एक पायलट मॉडल है, जो पूरे 60 करोड़ रुपये के कुत्ता प्रबंधन बजट के तहत संचालित हो रहा है। योजना की सफलता या असफलता से यह तय होगा कि बेंगलुरु और अन्य शहर दया, सार्वजनिक स्वास्थ्य और जिम्मेदार प्रबंधन के बीच कैसे संतुलन बनाते हैं।