Thursday 18th \2024f April 2024 05:46:16 AM
HomeLatest Newsस्वतंत्रता दिवस पर विशेष : अपनी आजादी को हम हरगिज भुला सकते...

स्वतंत्रता दिवस पर विशेष : अपनी आजादी को हम हरगिज भुला सकते नहीं…

उज्ज्वल दुनिया, दिवाकर पाठक(कंडाबेर), केरेडारी(हजारीबाग)। 15 अगस्त 1947 से हम अनवरत आजादी की वर्षगांठ मनाते आ रहे हैं।

जरा गौर करें, जिन मां के कर्म वीरों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

क्या उन लोगों ने कभी सोचा था कि हमारा देश कभी आतंकवाद, नक्सलवाद, स्वार्थ वाद और सत्तावाद की अग्नि में हवन होने को मजबूर होंगे।

विकास का हाल देखें, तो कई गांवों में न तो अच्छी सड़क है और न ही बिजली। आज भी कई गांवों के लोग कच्चे मकान में रहने को मजबूर हैं। उनका जान माल हमेशा खतरे में बना रहता है।

हालांकि प्रधानमंत्री आवास योजना ने लोगों की कमी को दूर किया है और सरकार का लक्ष्य 2022 तक सभी को पक्का मकान देने का है।

सरकार का यह लक्ष्य बिल्कुल सराहनीय है।

अब हम यहां विकास की योजना के गणित को प्रस्तुत करते हैं। आवास, शौचालय सहित कोई भी जनकल्याणार्थ योजना हो, यह बिचौलियों से संक्रमित हो जाता है।

तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी कहा था कि केंद्र से विकास के नाम पर चला पैसा बिचौलियों से होते हुए कुछ अंश मात्र ही जनता तक पहुंच पाता है।

गांव की योजनाएं ग्राम प्रधान के अंतर्गत कार्य करती हैं। यहां भी बड़ा उलटफेर है।

जिसके पास वास्तव में रहने लायक मकान नहीं है, उसे आवास का लाभ नहीं मिल पाता। बल्कि जो सर्व संपन्न लोग होते हैं, उन्हें इसका लाभ प्राप्त होता है।

स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय का निर्माण कराया गया, पर आज भी लोग खुले में शौच जाते हैं।

इसमें कोई संशय नहीं कि मोदी की सरकार ने देश को समृद्ध और शक्तिशाली बनाया।

लोकप्रियता की लकीरों के बीच देश का नाम विश्व शिखर पर प्रस्तुत किया।

सारांश यह है कि हमें संगठित होकर असामाजिक तत्वों का बहिष्कार करना होगा और विकास के मार्ग पर अग्रसर होते हुए स्वदेश को विश्व गुरु के स्थान पर पुन: स्थापित करना ही जीवन की सार्थक युक्ति होगी।

हम सच्चे अर्थों में आजाद भारत के अविचल पथ की ओर अग्रसर रहेंगे, तभी आजादी का गायन सफल होगा।

इसलिए समय के साथ स्वच्छ सोच को विकसित करें, तभी जीवन ज्योति का अमरपुंज प्रवाहित होता रहेगा।

हमें यह अवश्य याद रखना चाहिए कि आजादी का अलख जगाने वाले हमारे राष्ट्रीय प्रणेता सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद, बाल गंगाधर तिलक, वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप और महारानी लक्ष्मीबाई जैसे वीर सपूतों और वीरांगनाओं ने हमारी आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

हमने हाना नहीं सीखा और इसलिए हम उनके सपनों के भारत को प्रदूषित होने से बचाएं।

हम सदैव उनके ऋणी हैं। उनके खून का कतरा- कतरा कह रहा है उठो! जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments