
राष्ट्रीय जनता दल की स्थापना के 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस अवसर पर पटना के आरजेडी कार्यालय को दुल्हन की तरह सजाया गया है। रजत जयंती की पूर्व संध्या पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि राजद हर वर्ग की पार्टी है। यह शोषित, वंचित, कमजोर और सिस्टम के सताये हुए लोगों को न्याय दिलाने वाली पार्टी है। राजद को किसी जाति या व्रग के बंधन में बांधना ठीक नहीं। यह समाजवादी आंदोलन के सिपाहियों की पार्टी है।

तीन सालों के लंबे इंतजार के बाद सुनने को मिलेगा लालूजी का संबोधन
समारोह का उद्घाटन वर्चुअल रूप से आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद करेंगे । तीन वर्षों के इंतजार के बाद बिहार के लोगों और पार्टी कार्यकर्ताओं को लालू प्रसाद यादव का संबोधन सुनने को मिलेगा। लालू यादव जेल की सजा के दौरान रांची के रिम्स में अपनी बीमारियों का इलाज कराते रहे। इसके बाद उन्हें दिल्ली स्थित एम्स भेज दिया गया। जमानत मिलने के बाद भी लालू यादव गुड़गांव में अपनी बेटी और दामाद के यहां स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। राजद कार्यकर्ता लंबे वक्त से उनकी आवाज सुनने को लालायित हैं। लालू प्रसाद यादव के समर्थक उनके भाषण की बेसब्री से प्रतिक्षा कर रहे हैं।

बिहार आगे बढ़ चुका है, लालू से अब कोई फर्क नहीं पड़ता- सुशील मोदी
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और बीजेपी नेता सुशील मोदी ने हमला बोलते हुए कहा कि राजद ने बिहार में अपने 15 साल के भ्रष्टाचार, अपहरण-फिरौती-पलायन वाले भयानक दौर को जनमानस की स्मृतियों से मिटा देने की नीयत से 2020 के विधानसभा चुनाव के समय लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की तस्वीरें चुनावी पोस्टर-बैनर से हटा ली थीं। अतीत के गुनाह से पल्ला झाड़ने की यह कोशिश नाकाम रही। राजद की सीटें घट गईं, क्योंकि लोग अब भी वे दिन नहीं भूले हैं, जब शोरूम से गाड़ियां उठा ली जाती थीं और शाम ढलते दुकानें बंद हो जाया करती थीं।
उम्मीद है कि राजद लालू-राबड़ी के पोस्टर नहीं हटाएगी
यह प्रसन्नता की बात है कि राजद अपने आजीवन अध्यक्ष लालू प्रसाद और बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की तस्वीरें पार्टी के बैनर-पोस्टर में वापस लाकर 25 वां स्थापना दिवस मना रहा है। उम्मीद की जाएगी कि पार्टी अगले चुनाव के समय लालटेन युग के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के चित्र पोस्टर से फिर नहीं हटाएगी। उन्होने कहा कि लालू प्रसाद अब जेल में रहें या जमानत पर,पार्टी के पोस्टर-बैनर से गायब किये जाएँ या उनकी सचित्र वापसी हो, बिहार की राजनीति पर इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। यह दिल बहलाने के लिए एक राजनीतिक दल की आंतरिक कसरत-भर है।