Thursday 3rd of July 2025 02:13:13 PM
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राहुल का ब्रेकफास्ट, सिब्बल का डिनर और सोनिया का वर्चुअल सियासी लंच, कहां तक पहुंची विपक्षी एकता?

देश में विपक्षी एकता की कवायद चल रही है। इसमें अलग-अलग तरह से सोनिया गांधी, शरद पवार, लालू यादव, प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी जैसे नेता लगे हुए हैं। सबसे पहले विपक्षी एकता के पहल की शुरु आत की प्रशांत किशोर ने। वे मई और जून में तीन बार शरद पवार से मिले। इसके बाद शरद पवार ने अपने स्तर से अखिलेश, मायावती, लेफ्ट पार्टियों से संपर्क किया। संसद के पिछले सत्र में जब सभी दलों के नेता दिल्ली में जुटे तो इसे कुछ आकार देने की भी कोशिश हुई।

कपिल सिब्बल की डिनर डिप्लोमैसी
कपिल सिब्बल की डिनर डिप्लोमैसी, लेकिन इन्हे कांग्रेस का बागी समझा गया

विपक्षी खेमे की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि कांग्रेस के साथ होने पर उसका कबाड़ा हो जाता है और कांग्रेस के न रहने पर खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है । जब तक ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में रहीं, कांग्रेस पंजाब का झगड़ा सुलझाने में लगी हुई थी । जैसे ही तृणमूल कांग्रेस नेता ने दिल्ली में कदम रखे, राहुल गांधी हद से ज्यादा एक्टिव नजर आने लगे – और फिर भीतर ही भीतर मिलजुल कर ऐसी खिचड़ी पकायी गयी कि जिस शरद पवार के भरोसे ममता बनर्जी ने दिल्ली दौरे का कार्यक्रम बनाया था, बगैर उनसे मिले ही जाने को मजबूर हो गयीं ।

संद सत्र के दौरान जी-23 नेताओं ने भाजपा विरोधी क्षेत्रीय दलों के नेताओं को अपने घर डिनर पर बुलाया । इसे पुराने कांग्रेसियों द्वारा विपक्षी एकता के प्रयास के रुप में देखा जाना चाहिए था, लेकिन राहुल गांधी तो अपने आप में अनोखे हैं। उन्होने कपिल सिब्बल के डिनर के जवाब में अगले ही दिन सभी नेताओं को अपने यहां ब्रेकफास्ट पर बुला लिया। भला वो चिदंबरम और सिब्बल जैसे लोगो को लीड कैसे लेने देते ?

राहुल गांधी की ब्रेकफास्ट डिप्लोमैसी
राहुल गांधी की ब्रेकफास्ट डिप्लोमैसी, इसे कपिल सिब्बल का जवाब माना गया

इसके बाद सोनिया गांधी ने विपक्षी एकता की पहल करते हुए विपक्षी दलों की वर्चुअल बैठक बुलाई। इसमें 18 दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए, लेकिन अगले साल जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उन राज्यों से विपक्षी एकता का इगो सहलाने कोई नहीं पहुंचा। यूपी से अखिलेश और मायावती गायब रहे, तो पंजाब से आम आदमी पार्टी । ले देकर ये बैठक उन्ही दलों की रही जो या तो पहले से यूपीए में हैं या फिर बिना ज्यादा ना नुकुर के पहले से ही यूपीए के साथ जाने को तैयार बैठे हैं।

सोनिया गांधी की वर्चुअल बैठक से अखिलेश और मायावती ने बनाई दूरी
सोनिया गांधी की वर्चुअल बैठक से अखिलेश और मायावती ने बनाई दूरी

लालू यादव ओबीसी जातियों के नाम पर राजनीति दलों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट कर रहे हैं – और शरद पवार भी अपनी रणनीतियों के साथ साथ उनके साथ भी जुड़े हुए हैं – और बीच की खाली जगहों को भरने में प्रशांत किशोर भी अपने स्तर से जुटे ही हुए हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब अब तक नहीं मिला कि क्या भाजपा विरोधी क्षेत्रीय दल राहुल को अपना नेता मानने को तैयार हैं ? इसी सवाल के जवाब में विपक्षी एकता की सूई अटकी हुई है और राहुल बाबा की सूई सोशल मीडिया पर अटकी पड़ी है। वो सड़क पर संघर्ष से ज्यादा इसपर फोकस कर रहे हैं कि कौन सी कंपनी ने उनकी पोस्ट कब और क्यों हटाई ।

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