प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बैंकॉक में बिम्सटेक (BIMSTEC) शिखर सम्मेलन के दौरान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से मुलाकात की। इस मुलाकात में मोदी ने बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और लोकतांत्रिक व्यवस्था की शीघ्र बहाली पर जोर दिया।
यह बैठक ऐसे समय में हुई जब बांग्लादेश पिछले साल के राजनीतिक उथल-पुथल के प्रभाव से उबरने की कोशिश कर रहा है। अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था, जिसके बाद देश में अस्थिरता बढ़ी और कट्टरपंथी ताकतों का प्रभाव बढ़ा। हसीना के भारत में शरण लेने से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव भी देखा गया।
विदेश सचिव विक्रम मिश्री ने बैठक के बाद बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को “लोकतांत्रिक, स्थिर, शांतिपूर्ण और समावेशी” बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की जांच की मांग भी उठाई।
यूनुस, जिन्होंने पहले भारत के खिलाफ बयान दिए थे, हाल ही में अपने रुख में बदलाव लाए हैं। उन्होंने एक साक्षात्कार में स्वीकार किया कि भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना बांग्लादेश के लिए अनिवार्य है।
मोदी ने बांग्लादेश की स्वतंत्रता दिवस (26 मार्च) और ईद-उल-फितर के अवसर पर भी यूनुस को शुभकामनाएं दीं, यह संकेत देते हुए कि भारत बांग्लादेश के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है।
बैठक में सीमा सुरक्षा, अवैध घुसपैठ, गंगा जल संधि और तीस्ता नदी जल बंटवारे जैसे मुद्दे भी उठाए गए। वहीं, यूनुस ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग रखी, जिस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बैठक का महत्व बांग्लादेश-भारत संबंधों में नए समीकरण बना सकता है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक औपचारिक वार्ता थी और इससे संबंधों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा।
यूनुस ने बैठक के अंत में प्रधानमंत्री मोदी को एक तस्वीर भेंट की, जिसमें 2015 में मुंबई में आयोजित भारतीय विज्ञान कांग्रेस में मोदी ने उन्हें स्वर्ण पदक प्रदान किया था।