नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश को संबोधित करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि देश की करोड़ों बेटियों और माताओं की भावना का प्रतीक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है और भविष्य की कार्रवाई पाकिस्तान की आतंकवाद पर नीति पर निर्भर करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें निर्दोष पर्यटकों को उनके परिवारों के सामने मार दिया गया, ने पूरे देश को झकझोर दिया। “यह आतंकवाद का सबसे वीभत्स चेहरा था,” उन्होंने कहा।
ऑपरेशन सिंदूर का लक्ष्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करना था। पीएम मोदी ने बताया कि 6 मई की रात और 7 मई की सुबह भारतीय सेनाओं ने आतंकियों के प्रशिक्षण शिविरों पर सटीक हमले किए और 100 से अधिक कुख्यात आतंकवादियों को मार गिराया।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की सेना की बहादुरी की झूठी कहानी उस समय उजागर हो गई, जब उनके गर्व के एयरबेस और मिसाइल सिस्टम हमारी कार्रवाई में ध्वस्त हो गए।”
प्रधानमंत्री ने दावा किया कि पाकिस्तान घबरा गया था और नुकसान उठाने के बाद उसने संघर्षविराम के लिए भारत के DGMO से संपर्क किया। भारत ने तब तक आतंकी ढांचे को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया था।
‘न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग’ पर सख्त रुख
मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत किसी भी प्रकार की न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग बर्दाश्त नहीं करेगा। “आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली सरकार और आतंक के मास्टरमाइंड के बीच कोई फर्क नहीं किया जाएगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी मारे गए आतंकियों को श्रद्धांजलि दे रहे थे, जो पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद का साक्ष्य है।
‘मेड इन इंडिया’ हथियारों की वैश्विक पहचान
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस ऑपरेशन ने यह भी साबित कर दिया कि भारत के स्वदेशी हथियार वैश्विक स्तर पर प्रभावी हैं। “आज दुनिया देख रही है कि 21वीं सदी के युद्धों में ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों का समय आ गया है।”
एकजुट भारत की ताकत
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी एकजुटता है। यह युद्ध का युग नहीं है, लेकिन यह आतंकवाद का युग भी नहीं होना चाहिए। आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस ही बेहतर विश्व की गारंटी है।”
अंत में, मोदी ने दो टूक कहा, “अगर पाकिस्तान को बचना है तो उसे अपने आतंकी ढांचे को खत्म करना होगा। ‘आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते, पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते’।”