Thursday 24th of April 2025 12:23:56 AM
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कश्मीर का असली चेहरा: एक ओर मातम, दूसरी ओर वो ज़मीर जो कब का मर चुका है

पहलगाम की बर्फीली वादियाँ आज ख़ामोश हैं—लेकिन उस ख़ामोशी में सिर्फ़ शोक नहीं, एक सवाल भी गूंज रहा है:
“क्या कश्मीर आज भी भारत का हिस्सा महसूस करता है या पाकिस्तान का अघोषित छावनी बन चुका है?”

मंगलवार को जिस बेरहमी से 26 मासूम पर्यटकों को TRF के दरिंदों ने मौत के घाट उतारा, वह सिर्फ़ एक आतंकी हमला नहीं था—यह कश्मीरियत पर नहीं, भारत की सहनशीलता पर एक और तमाचा था

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की आँखों में आँसू थे। “मेहमान तफ़रीह करने आए थे, लेकिन ताबूतों में लौटे,” उन्होंने कहा। लेकिन सवाल यह है—इन ताबूतों के लिए ज़िम्मेदार कौन है?

क्या सिर्फ़ पाकिस्तान? या फिर वे कश्मीरी भी जो आतंकी संगठनों को शरण देते हैं, पाकिस्तानी झंडे लहराते हैं, और जवानों पर पत्थर बरसाते हैं?

हर आतंकी हमले के बाद घाटी में ‘शोक’ के नाम पर दुकानें बंद होती हैं, विरोध प्रदर्शन होते हैं। लेकिन ये वही घाटी है जहाँ दोपहर में आतंकी बिछाए जाते हैं और शाम को उनको ‘शहीद’ कह कर नमाज़ें पढ़ी जाती हैं।

आप शोक मना रहे हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि हर वो जवान जो LoC पर शहीद होता है, उसे मारने वाला किसी मस्जिद में छुपा एक स्थानीय कश्मीरी होता है?

कश्मीर के कुछ हिस्सों में अब भी ऐसे लोग हैं जो पाकिस्तानी एजेंट बने हुए हैं—पढ़ाई की जगह कट्टरता, तरक्की की जगह तंजीमें, और मज़हब के नाम पर नफरत का व्यापार करते हैं।

महबूबा मुफ्ती कहती हैं, “कश्मीर शर्मिंदा है।”
क्यों शर्मिंदा नहीं होगा? कश्मीर ने ही तो इन आतंकियों को पाला है।

ये वो लोग हैं जो सरकार की स्कॉलरशिप लेते हैं, सेना की सुरक्षा में रहते हैं, और फिर उन्हीं के खिलाफ बंदूक उठाते हैं

क्या ये वही “अतिथि देवो भव:” की भूमि है, जहाँ अतिथि को बुलेट दी जाती है?


💔 और इन हालात में सबसे बड़ा झटका पर्यटन और आम लोगों को लगा है

किसान, होटल व्यवसायी, टूर गाइड, हॉर्स राइडर—सबकी रोज़ी-रोटी चली गई।
लेकिन शायद सबसे बड़ा नुकसान कश्मीर की विश्वसनीयता का हुआ है, जो हर हमले के साथ और नीचे गिरती जा रही है।


📢 अब वक़्त आ गया है:

  • घाटी में बैठे हर पाक-परस्त को चिह्नित कर निकाला जाए

  • देश-विरोधी सोच को ‘लोकल’ कहकर ढकने की नीति बंद हो

  • जो जवानों का खून बहा रहे हैं, उन्हें अब जमीन पर नहीं, कब्र में जगह मिलनी चाहिए

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