सुरक्षा व्यवस्था की एक बार फिर खुली पोल, रिमांड होम से तीन नाबालिग फरार
हत्या व दुष्कर्म मामलों के हैं आरोपी
मेदिनीनगर (उज्ज्वल दुनिया): पलामू जिला मुख्यालय के जेलहाता स्थित रिमांड होम से नाबालिगों के फरार होने का सिलसिला थम नहीं रहा है। रिमांड होम की सुरक्षा को धत्ता बताते एक बार फिर रिमांड होम से तीन नाबालिग फरार हो गये हैं। उनके भागने का पता बुधवार की सुबह गिनती के दौरान चला। यह तीनों नाबालिग हत्या दुष्कर्म जैसे संगीन मामलों के आरोपी हैं।
तीनों नाबालिगों ने फिल्मी स्टाइल में रिमांड होम से भागने की प्लानिंग की और इसमें कामयाब हुए। नाबालिगों के फरार होने की पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद है। तीनों ने पहले कमरे की खिड़की में लगे लोहे के ग्रिल को तोड़ा, इसके बाद उसके पीछे दीवार से सटे एक नाली से होते हुए रिमांड होम के बाहर निकल गए। घटना रात के 11 बजे के आसपास की बताई गई है।
फरार नाबालिग चैनपुर, रेहला और धनबाद के रहनेवाले हैं। चैनपुर व धनबाद के नाबालिग पर दुष्कर्म और रेहला के नाबालिग पर हत्या का आरोप है। इन्हें पकड़े जाने के बाद रिमांड होम में रखा गया था। घटना की जानकारी मिलने के बाद सदर एसडीओ राजेश कुमार साह और जिला समाज कल्याण पदाधिकारी नीता चैहान ने रिमांड होम पहुंचकर घटना की जानकारी ली और इसके सुरक्षा उपायों को मजबूत बनाने की समीक्षा की। मालूम हो कि अप्रैल से अब तक रिमांड होम से पांच नाबालिग फरार हो गए हैं। एसडीओ श्री साह ने बताया कि अप्रैल में हुई घटना के बाद सुरक्षा के मद्देनजर दीवार को ऊंचा किया गया है। कंटीले तार लगाने के साथ ही साथ वाच टावर भी लगाया गया।
हालांकि जिस जगह से इस बार नाबालिग फरार हुए हैं, वह रिमांड होम के पीछे का भाग है। वहां भी एक वाच टावर खड़ा किया जाएगा। फिलहाल इस रिमांड होम में लगभग 60 नाबालिग रखे गये हैं। मालूम हो कि इस रिमांड होम का संचालन समाज कल्याण विभाग द्वारा किया जाता है। मालूम हो कि इससे पूर्व अप्रैल 2021 माह में भी कई नाबालिग फरार हुए थे। पिछले एक वर्ष में पलामू रिमांड होम से 10 के करीब नाबालिग फरार हुए हैं। नाबालिगांे के फरार होने का सबसे ज्यादा मामला चाहरदीवारी व छत के रास्ते भागने का आता है। रिमांड होम में बराबर छापामारी होती है। सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की भी बात कही जाती है, इसके बाद भी नाबालिग फरार होते रहे हैं।
मालूम हो कि रिमांड होम में गंभीर अपराध करनेवाले नाबालिकों को रखा जाता है। जब भी बच्चे फरार होते हैं, प्रशासनिक पदाधिकारी व पुलिस पदाधिकारी निरीक्षण करने पहुंचते हैं। कहा जाता है कुछ कमियां हैं, जिसे सुधारने की जरूरत है। लेकिन पदाधिकारियों के निरीक्षण के तुरंत बाद बच्चे के भाग निकलने से यह सवाल उठने लगता है कि आखिर यह निरीक्षण किस काम का जब बच्चे पहले की तरह ही रिमांड होम से भाग निकलते हैं। रिमांड होम में पहले छापामारी के दौरान नाबालिगों के कमरे से मोबाइल फोन, गांजा व अन्य नशीला पदार्थ मिल चुका है। इतना होने के बाद भी शातिर आरोपी नाबालिगों की निगरानी में चूक बड़ी लापरवाही है।