नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में आयकर विधेयक 2025 पेश किया और इसे समीक्षा के लिए एक सेलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव रखा। यह विधेयक आयकर अधिनियम 1961 को निरस्त कर नए नियमों को लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई।
विपक्ष का विरोध और सरकार का तर्क
तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने तर्क दिया कि 1961 का आयकर अधिनियम सरकार द्वारा हर साल संशोधित किया जाता रहा है, इसलिए इसे पूरी तरह बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और आरएसपी सांसद एन के प्रेमचंद्रन ने भी इस विधेयक पर आपत्ति दर्ज कराई।
इसके जवाब में निर्मला सीतारमण ने बताया कि 1961 के अधिनियम में 298 धाराएं थीं, लेकिन समय के साथ यह बढ़कर 819 हो गईं, जिससे करदाता पर अनुपालन का भार बढ़ा। नया विधेयक इसे घटाकर 536 धाराओं तक सीमित कर देगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस बदलाव में केवल तकनीकी सुधार नहीं बल्कि “महत्वपूर्ण परिवर्तन” किए गए हैं।
क्या बदलेगा नए विधेयक में?
- भाषा को सरल बनाया गया है ताकि करदाता इसे आसानी से समझ सकें।
- “आकलन वर्ष” (Assessment Year) शब्द को हटा दिया गया है और “टैक्स ईयर” (Tax Year) की नई अवधारणा जोड़ी गई है।
- क्रिप्टोकरेंसी और अन्य वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों को पूंजीगत संपत्ति (Capital Asset) के रूप में परिभाषित किया गया है।
- अधिनियम की शब्द संख्या को आधे से भी कम कर दिया गया है, जिससे अनुपालन लागत कम होगी।
सेलेक्ट कमेटी को भेजा गया विधेयक
सीतारमण ने एक प्रस्ताव भी रखा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इस विधेयक की समीक्षा के लिए एक सेलेक्ट कमेटी गठित करें। यह समिति अगले संसदीय सत्र के पहले दिन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
लोकसभा ने इस प्रस्ताव को ध्वनि मत (Voice Vote) से स्वीकार कर लिया और इसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही 10 मार्च तक स्थगित कर दी।
पहले सत्र में संसद की उत्पादकता 112% रही, जिसमें राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर 173 सांसदों ने 17.23 घंटे तक चर्चा की, जबकि केंद्रीय बजट पर 170 सांसदों ने 16.13 घंटे तक बहस की।
अब सबकी निगाहें आगामी बजट सत्र के दूसरे चरण पर टिकी हैं, जहां यह विधेयक विस्तार से चर्चा में आएगा।