नई दिल्ली, 17 जुलाई 2025 | रिपोर्ट: अरुणिम भुयान, ईटीवी भारत
भारत ने गुरुवार को संकेत दिया कि वह म्यांमार और रूस द्वारा प्रस्तावित आर्थिक गलियारे के विचार का समर्थन करता है, लेकिन यह देखना आवश्यक होगा कि प्रोजेक्ट व्यावहारिक है या नहीं।
🗣️ विदेश मंत्रालय का बयान:
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा:
“हम क्षेत्रीय सहयोग और कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को बहुत महत्व देते हैं। हम हर ऐसे प्रस्ताव को उसकी व्यावहारिकता के आधार पर देखेंगे। लेकिन मोटे तौर पर, हम कनेक्टिविटी का समर्थन करते हैं।”
🛳️ क्या है प्रस्तावित गलियारा?
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म्यांमार के यंगून पोर्ट को भारत के मुंबई पोर्ट से जोड़कर रूस से व्यापार बढ़ाने का प्रस्ताव।
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यंगून को एक रणनीतिक ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे रूसी माल एशिया के अन्य हिस्सों तक भेजा जा सकेगा।
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रूस की ओर से फर्टिलाइज़र सप्लाई और ई-कॉमर्स साझेदारी की भी बात हुई।
🧠 विशेषज्ञ की राय:
के. वाय. होम, एशियन कॉन्फ्लुएंस (Shillong) के फेलो, ने कहा:
“यह परियोजना क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में एक नया अध्याय जोड़ सकती है।”
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रूस और म्यांमार, दोनों भारत के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखते हैं।
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अमेरिका की मौजूदगी के चलते रूस को इस क्षेत्र में भरोसेमंद साझेदारों की जरूरत है, और ऐसे में भारत स्वाभाविक विकल्प बनता है।
📦 क्या वाकई व्यापारिक रूप से फायदेमंद होगा?
“रूस-म्यांमार के बीच बड़े स्तर पर व्यापार नहीं होता, सिवाय तेल और गैस के। इसीलिए भारत को शामिल करना वाणिज्यिक रूप से तर्कसंगत है,” — वाय. होम
🇨🇳 चीन की भूमिका पर सवाल:
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चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है।
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चीन इस प्रस्तावित गलियारे को रोकने या प्रभावित करने की कोशिश कर सकता है।
🌍 भारत की वर्तमान गलियारों में भागीदारी:
1. INSTC (अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा):
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भारत, ईरान और रूस द्वारा विकसित।
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मुंबई से सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) तक माल ढुलाई के लिए बहु-मोडल नेटवर्क।
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20–30 मिलियन टन सालाना क्षमता।
2. IMEEC (भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा):
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भारत, यूएई, सऊदी अरब, अमेरिका, यूरोप शामिल।
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रेलवे, जहाज और सड़क मार्ग से जुड़ा नेटवर्क।
3. MIEC (मेकोंग-भारत आर्थिक गलियारा):
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म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम और भारत के बीच संपर्क बढ़ाने की योजना।
🇮🇳 भारत के म्यांमार से मौजूदा प्रोजेक्ट:
🔹 कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP):
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कोलकाता से सिट्टवे (म्यांमार) तक समुद्री मार्ग, फिर नदी और सड़क से मिज़ोरम।
🔹 भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग (IMT-TH):
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मणिपुर से थाईलैंड तक 1,360 किमी लंबा राजमार्ग, जिसे कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक बढ़ाने की योजना।
❓ क्या नया गलियारा पुराने प्रोजेक्ट्स को प्रभावित करेगा?
के. वाय. होम का जवाब:
“नया गलियारा समुद्री है, जबकि KMTTP और IMT-TH भूमिगत संपर्क पर आधारित हैं। इसलिए इन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।”