कश्मीर घाटी में 90 के दशक में आतंकवाद, अलगाववाद के कारण बंद किए गए मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति एक बार फिर दी गई है। जम्मू-कश्मीर के शिया मुसलमानों ने इस फैसले के लिए जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा का आभार जताया है।
कश्मीर घाटी में मुहर्रम जुलूस पर था बैन
दरअसल पाकिस्तान परस्त अलगाववादी संगठन कश्मीरी पंडितों के साथ ही शिया और अहमदी मुसलमानों पर भी हमले करते थे । आतंकवाद जब चरम पर था तो मुहर्रम जुलूस पर पथराव और शियाओं पर हमले आम थे । कानून-व्यवस्था को देखते हुए 1992 में कश्मीर घाटी में मुहर्रम के जुलूस पर बैन लगा दिया गया था।
पिछले हफ्ते ही शिया धर्मगुरु कल्बे सादिक ने राज्यपाल से की थी मुलाक़ात
पिछले हफ्ते ही शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाक़ात कर उनसे वफ्फ बोर्ड की संपत्तियों और मुहर्रम जुलूस फिर से शुरू करवाने पर बात की थी । पत्रकारों से बात करते हुए मौलाना कल्बे सादिक ने कहा था कि कश्मीर घाटी में अधिकांश वफ्फ बोर्ड की संपत्तियों पर कुछ खास परिवारों ने कब्जा जमाकर रखा है । सरकार इन्हें दोबारा वफ्फ बोर्ड को सौंपने पर विचार करे ।