लेह: कश्मीर के पंपोर की खूबसूरत केसर की खेती अब लद्दाख में भी की जाएगी। लद्दाख सरकार और सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (CSIR-IIIM) के सहयोग से यहां केसर की खेती पर प्रयोग किए जा रहे हैं।
लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के कृषि विभाग ने CSIR-IIIM के तकनीकी समर्थन के साथ इस वर्ष पायलट प्रोजेक्ट के रूप में केसर की खेती शुरू करने का निर्णय लिया है। कृषि सचिव भूपेश चौधरी ने लेह और कारगिल के उपयुक्त स्थानों की पहचान करने के निर्देश दिए हैं।
CSIR-IIIM के विशेषज्ञों का कहना है कि:
- लद्दाख में केसर की खेती धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को ध्यान में रखकर की जा रही है।
- यहां के जलवायु और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए उन्नत खेती तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
- तंगमार्ग, श्रीनगर से लाए गए बेहतरीन गुणवत्ता वाले केसर के बीजों का उपयोग किया जा रहा है।
- किसानों को इस खेती के लिए प्रशिक्षण और प्रोत्साहन दिए जाएंगे।
CSIR-IIIM और कृषि विभाग मिलकर किसानों को बीज उपलब्ध कराएंगे और खेती की प्रक्रिया को आसान बनाएंगे। शुरुआती परीक्षण सफल रहे हैं, और केसर की अच्छी गुणवत्ता देखी गई है। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो लद्दाख के किसान भी केसर की खेती से लाभ उठा सकते हैं।
कारगिल के किसान का अनुभव:
कारगिल के मोहम्मद मेहदी ने 2018 से अपने खेत में केसर की खेती पर प्रयोग किए हैं। उनका कहना है कि ग्रीनहाउस में उगाई गई फसल अच्छी हो रही है, और इसकी गुणवत्ता कश्मीर के केसर जैसी ही है।
लद्दाख में केसर की खेती के लिए आवश्यक जलवायु परिस्थितियों और मिट्टी की उर्वरता को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान जारी है। यदि यह परियोजना सफल रहती है, तो लद्दाख को केसर उत्पादन के एक नए केंद्र के रूप में देखा जा सकता है।