Thursday 21st of November 2024 01:28:23 PM
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झारखंड सरकार ने विधानसभा पटल पर दिया लिखित जवाब

हेमंत सोरेन सरकार का आधिकारिक स्टैंड है कि “आदिवासी हिन्दू नहीं हैं “

हार्वर्ड के पूर्ववर्ती छात्रों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि आदिवासी Hindu नहीं हैं। मुख्यमंत्री के बयान की भाजपा ने निंदा की थी। सोशल साइट पर भी तब मुख्यमंत्री की तीखी आलोचना हुई थी। अब झारखंड सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर ये माना है कि आदिवासी Hindu नहीं है। देश भर में संभवतः ऐसा पहली बार है , जब सरकार के गृह विभाग ने विधानसभा में जेएमएम विधायक सीता सोरेन के द्वारा पूछे गए सवाल में बताया है कि आदिवासी हिन्दू नहीं है।

झारखंड सरकार ने क्या तर्क दिए हैं?

झारखण्ड सरकार ने विधानसभा पटल पर दिए अपने लिखित जवाब में कहा है कि झारखण्ड के 32 जनजातीय समुदायों की पूजा-पद्धति, रीति-रिवाज जन्म एवं मृत्यु संस्कार, पर्व-त्यौहार अन्य धर्मावलम्बियों से भिन्न है। प्रकृति अभिमुखि सांस्कृतिक विशिष्टता ने इन्हें अदभुत रूप से समतावादी बना दिया है। इसी लिए इनके यहाँ वर्ण जाति के भेद-भाव वाली सामाजिक व्यवस्था का अभाव है। स्वर्ग-नर्क की अवधारणा का अभाव, आत्मा की अपनी विशेष अभिकल्पना तथा पर्व-त्यौहार इत्यादि अन्य धर्मों से अलग है।

आदिवासियों के देवता किसी विशाल भवन में निवास नहीं करते। आदिवासियों के सारे समुदाय किसी विशेष धार्मिक ग्रन्थ से संचालित नहीं होते। यहाँ किसी मसीहा, पैगम्बर या अवतार की कल्पना भी नहीं की गई है। यहाँ जन्म पर आधारित कोई ऐसा पुजारी या पुरोहित वर्ग नहीं है।

मृत पिता की छाया को घर में स्थान दी जाती है

आदिवासीय समुदायों की मान्यता के अनुसार मृत पितृ की छाया को घर के खास स्थान में जगह दी जाती है वे पितृ-पूर्वज अपनी उपस्थिति से अपने बच्चों की रक्षा करते हैं।

इनकी पूजा आराधना का केन्द्र प्रकृति ही है साथ ही परम सत्ता या परम पिता है, जिन्हें ठाकुर जीउ, घरमे, सिंगबोंगा आदि सभी घार्मिक अनुष्ठानों, परब त्योहारों के केन्द्र में होते हैं। इसके अलावे प्रकृति के अन्य शक्तियों में भी ईश्वर के रूप में देखना और उसके प्रति अपनी पूजा-अर्चना समर्पित करना उनके धार्मिक अनुष्ठान में शामिल रहता है। ये जीवों के साथ अजीवों में भी ईश्वर की अभिकल्पना करते हैं जैसे मरांग बुरू बोंयको या इकिर बोंगा।

आदिवासियों के पर्व-त्योहार भी हिंदुओं से अलग

झारखण्ड सरकार का कहना है कि इनका पूजा-अर्चन स्थल सरना, जाहेर, देशाउली इत्यादि है। इनके पर्व-त्यौहार सरहुल, बा. सोहराय अन्य धर्मावलम्बियों से भिन्न है। अतः इनकी अलग पूजा-पद्धति, धार्मिक विश्वास, विशेष दर्शन. परब-त्यौहार, रीति-रिवाज, जन्म-मृत्यु संस्कार, पर्व-त्योहार Hindu धर्मावलम्बियों से भिन्न है।

झारखण्ड विधानसभा में सीता सोरेन के सवाल का जवाब
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