उज्ज्वल दुनिया, हजारीबाग। केंद्रीय मानवाधिकार आयोग ने हजारीबाग स्थित बड़कागांव की पीड़ित बच्ची को एक लाख रुपए का मुआवजा झारखंड सरकार को देने का आदेश दिया है।
दरअसल बड़कागांव के तत्कालीन बीडीओ राकेश कुमार और उनकी पत्नी के विरुद्ध बाल श्रम और प्रताड़ित करने के मामले में यह आदेश जारी किया गया है।
एक अक्तूबर 2019 को बड़कागांव के तत्कालीन बीडीओ एवं उनकी पत्नी के विरुद्ध बाल श्रम, बच्चों के प्रति क्रूरता एवं भादवि की अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज हुई थी।
बचपन बचाओ आंदोलन ने इस मामले में किया था हस्तक्षेप
बचपन बचाओ आंदोलन के स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बीडीओ के विरुद्ध कार्रवाई के लिए जोरदार आंदोलन किया था।
कोडरमा के डोमचांच निवासी ओंकार विश्वकर्मा ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर विस्तार से घटना की जानकारी देते हुए नाबालिग बच्ची को न्याय दिलाने की गुहार लगाई थी।
तत्कालीन बीडीओ एवं उनकी पत्नी प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से फरार थे और हाई कोर्ट से सशर्त अग्रिम जमानत लिया था।
बीडीओ दंपती पर नाबालिग आदिवासी बच्ची को घर में कैद कर नौकरानी का काम कराने, मारपीट करने और गर्म सलाखों से शरीर पर दागे जाने का आरोप था।
बच्ची को उसके मौसेरे भाई ने उस घर से आजाद करा कर सदर अस्पताल हजारीबाग में भर्ती कराया था, तब मामले का खुलासा हुआ था।
इस मामले में बीडीओ और उसकी पत्नी के खिलाफ हजारीबाग सदर थाना में एक अक्तूबर 2019 को कांड संख्या 339/19 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
बड़कागांव के एसडीपीओ ने दंडाधिकारी के साथ सात नवंबर 2019 की जांच रिपोर्ट में घटना को सही ठहराया था।
13 जनवरी 2021 को मानवाधिकार आयोग ने झारखंड सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए कहा था कि पीड़िता के लिए एक लाख के मुआवजे की अनुशंसा क्यों नहीं की जाय ?