रामगढ़ के बैनर तले स्थित झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति इकाई ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मायाटूगरी, कांकेबार में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में महिला मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष दयमंती मुंडा, महिला मोर्चा के केंद्रीय पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी, प्रखंड पदाधिकारी, पंचायत के सक्रिय सदस्य, तथा सभी समुदाय की महिलाएं उपस्थित थीं।
झारखंड की मुख्य अतिथि दयमंती मुंडा ने इस अवसर पर एक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं की तुलना मां धरती से की जा सकती है, क्योंकि वे धरती मां के समान त्याग, क्षमा, सहनशीलता की प्रतिमूर्ति होती हैं। वे अपने परिवार और समाज के लिए सब कुछ न्योक्षावर करने के बाद भी सिर्फ सम्मान की अभिलाषा रखती हैं। उन्होंने सभी महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी।
इस समारोह में महिलाओं ने अपने अद्भुत करियर की कहानियां साझा कीं। वे अपने सफलता के बारे में बतातीं कि कैसे वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करती हैं। इसके अलावा, कई महिलाएं ने अपने क्षेत्र में सामाजिक परिवर्तन के लिए किए गए प्रयासों के बारे में भी बताया।
यह समारोह महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जहां वे अपनी आवाज को सुनाने का अवसर प्राप्त कर सकीं। इसके द्वारा, महिलाएं अपनी बातें और मांगें साझा कर सकीं, जो समाज में बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस समारोह के अलावा, विभिन्न कला और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। यहां पर महिलाएं नृत्य, गायन, नाटक, और अन्य कला प्रदर्शनों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकीं।
इस समारोह का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सम्मानित करना और उन्हें उनके सामरिक और सामाजिक योगदान के लिए प्रशंसा करना था। यह एक महत्वपूर्ण मौका था जब समाज ने महिलाओं के सामरिक योगदान को मान्यता दी और उनके सामरिक क्षमता और प्रतिभा का सम्मान किया।
इस समारोह के माध्यम से, एक संदेश भी दिया गया कि महिलाओं का सम्मान और समानता एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यहां पर महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया गया और उन्हें यह भी समझाया गया कि वे समाज में अपनी आवाज उठा सकती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का सम्मान समारोह रामगढ़ में एक बहुत ही सफल और महत्वपूर्ण आयोजन रहा है। इससे महिलाओं को सम्मानित किया गया और उनके सामरिक और सामाजिक योगदान को मान्यता दी गई। इसके अलावा, यह समारोह महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया और उन्हें यह भी समझाया गया कि वे समाज में अपनी आवाज उठा सकती हैं।