नई दिल्ली: अब बौद्धिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को रेलवे से रियायत प्रमाणपत्र और उसके लाभ गरिमा के साथ मिलेंगे, क्योंकि रेलवे ने अपने प्रमाणपत्रों में “मानसिक रूप से विकृत” जैसे आपत्तिजनक शब्द को हटाकर उसकी जगह “बौद्धिक दिव्यांगता (Intellectual Disability)” को शामिल किया है।
यह बदलाव एक पिता की साढ़े पांच साल की लड़ाई के बाद संभव हो पाया है, जिन्होंने अपनी बेटी के रेलवे रियायत प्रमाणपत्र में अपमानजनक शब्द का विरोध किया था।
रेलवे बौद्धिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को यात्रा में 75% तक की छूट देता है और उन्हें आरक्षित सीटें भी मिलती हैं। लेकिन मई 2025 तक रेलवे अभी भी ‘मानसिक रूप से विकृत’ जैसे शब्द का प्रयोग कर रहा था, जबकि केंद्र सरकार की आरक्षण नीति (DoPT FAQs, 2019) में ‘बौद्धिक दिव्यांगता’ को मान्यता मिली हुई है।
डॉ. पंकज मारू, जिनकी बेटी 65% बौद्धिक रूप से दिव्यांग है, ने बताया कि उन्होंने 2019 से लेकर अब तक रेलवे, आरटीआई, और अंततः CCPD कोर्ट तक हर संभव दरवाज़ा खटखटाया।
उन्होंने कहा:
“यह सिर्फ शब्द नहीं, सम्मान की बात है। ‘मानसिक रूप से विकृत’ जैसे शब्द किसी भी नागरिक की गरिमा को ठेस पहुँचाते हैं, जबकि ‘बौद्धिक दिव्यांगता’ एक संवैधानिक और कानूनी मान्यता प्राप्त शब्द है।”
CCPD ने अपने 14 जुलाई 2025 के ईमेल में बताया कि रेलवे बोर्ड ने 9 मई 2025 को एक परिपत्र जारी किया, जिसके अनुसार अब “Mentally Retarded Persons who cannot travel without an escort” की जगह “Persons with Intellectual Disability who cannot travel without an escort” शब्दों का उपयोग किया जाएगा। यह नियम 1 जून 2025 से लागू कर दिया गया है।
चंदन सिंह, एक अन्य पिता ने भी बताया कि उन्हें भी 2022 में ऐसी ही भाषा से दो-चार होना पड़ा था, जिसे उन्होंने तत्काल विरोध किया था लेकिन तब अधिकारियों ने अनसुना कर दिया था।
साइकोलॉजिस्ट डॉ. माया वोहरा ने बताया:
“जब सरकारी तंत्र स्वयं ‘मेंटली रिटार्डेड’ जैसे शब्दों का प्रयोग करता है, तो समाज में भेदभाव और बढ़ जाता है। ऐसे शब्दों से माता-पिता और बच्चों दोनों पर मानसिक दबाव पड़ता है।”
🚆 रेलवे में रियायत की सुविधाएँ:
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75% छूट: 2nd, स्लीपर, 1st क्लास, 3AC, AC चेयर कार
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50% छूट: 1AC, 2AC
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राजधानी/शताब्दी में: 25% तक
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मासिक सीज़न टिकट (MST) और तिमाही सीज़न टिकट (QST) में भी 50%
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एक सहायक (escort) को भी समान रियायत