नई दिल्ली: पाहलगाम आतंकी हमले और भारत की ऑपरेशन सिंदूर के तहत जवाबी कार्रवाई के बाद भारत-पाक तनाव के बीच, चीन ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि वह पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में मोहम्मद जलविद्युत परियोजना के निर्माण कार्य में तेजी लाएगा।
यह घोषणा भारत द्वारा दशकों पुरानी सिंधु जल संधि (IWT) को निलंबित करने के बाद आई है। यह कदम दक्षिण एशिया में जल कूटनीति और सामरिक समीकरणों को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है, जिसमें अब एक और प्रमुख शक्ति—बीजिंग—अधिक सक्रिय रूप में सामने आ रही है।
चीन के सरकारी प्रसारक सीसीटीवी के हवाले से साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने सोमवार को बताया कि डैम का कंक्रीट भराव कार्य शुरू हो गया है, जो इस राष्ट्रीय फ्लैगशिप परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण निर्माण चरण है।
इस कदम को चीन-पाकिस्तान रणनीतिक गठबंधन के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है, जो भारत द्वारा संधि के निलंबन के प्रतिउत्तर में एक सामरिक संदेश है।
📜 सिंधु जल संधि क्या है?
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इसमें भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों पर अधिकार दिया गया, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर अधिकार मिला।
हाल ही में पाहलगाम आतंकी हमले, जिसे भारत ने पाकिस्तान-समर्थित आतंकवाद का नतीजा बताया, के बाद पीएम मोदी ने कहा था: “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते“, और तब से भारत ने संधि को स्थगित कर दिया है।
🏗️ क्या है मोहम्मद जलविद्युत परियोजना?
मोहम्मद डैम, एक बहुउद्देशीय कंक्रीट-फेस्ड रॉक-फिल्ड डैम है जो पाकिस्तान के स्वात नदी पर बन रहा है, पेशावर से लगभग 37 किमी उत्तर और मुंडा हेडवर्क्स से 5 किमी ऊपर स्थित है।
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उत्पादन क्षमता: 800 मेगावॉट
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सिंचाई क्षमता: 16,100 एकड़
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बाढ़ नियंत्रण: निचले इलाकों को बचाने की क्षमता
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प्रत्याशित लाभ:
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PKR 4.98 अरब (जल भंडारण से)
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PKR 19.6 अरब (बिजली उत्पादन से)
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PKR 7.9 करोड़ (बाढ़ नियंत्रण से)
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यह डैम नौशेरा और चारसद्दा जिलों को मौसमी बाढ़ों से बचाने में मदद करेगा।
🚧 परियोजना की वर्तमान स्थिति:
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निर्माण आरंभ: मई 2019
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कार्यकारी एजेंसियां:
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CGGC (चीन) और Descon Engineering (पाकिस्तान)
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Voith Hydro Shanghai Ltd. द्वारा टरबाइन सप्लाई
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लागत: लगभग PKR 309.558 अरब
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नियोजित पूरा होना:
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पहला यूनिट – दिसंबर 2026
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पूर्ण निर्माण – अप्रैल 2027
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रोजगार: लगभग 6,000 स्थानीय लोगों को रोजगार
🌏 क्षेत्रीय जल राजनीति में क्या असर?
डॉ. उत्तम कुमार सिन्हा (मनोहर पर्रिकर रक्षा अध्ययन संस्थान):
“चीन और पाकिस्तान दुनिया के प्रमुख डैम निर्माताओं में हैं। पाकिस्तान की जल निर्भरता अधिक है और चीन उसका रणनीतिक समर्थन कर रहा है।”
प्रो. हर्ष वी. पंत (किंग्स कॉलेज लंदन):
“भारत और चीन दोनों पानी को कूटनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। पाकिस्तान सिर्फ एक मोहरा है।”
अभिनव पंड्या (Usanas Foundation):
“भारत द्वारा सिंधु संधि निलंबित करने के बाद, पाकिस्तान की जल असुरक्षा बढ़ी है। चीन अब इस मुद्दे पर पाकिस्तान की चिंता कम करने के लिए आगे आया है।”