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भारत की रेयर अर्थ कूटनीति: वैश्विक दक्षिण में नई साझेदारियों की रणनीतिक दिशा

नई दिल्ली: जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ खनिजों की होड़ बढ़ रही है, भारत अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन देशों के साथ अपने संबंधों को गहरा कर रहा है ताकि इन रणनीतिक खनिजों तक दीर्घकालिक पहुंच सुनिश्चित की जा सके।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 से 9 जुलाई, 2025 के बीच घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राज़ील और नामीबिया की यात्रा पर जा रहे हैं। इस बहु-देशीय दौरे के दौरान भारत का फोकस रेयर अर्थ और क्रिटिकल मिनरल्स पर सहयोग बढ़ाने पर रहेगा, जो हरित ऊर्जा, रक्षा निर्माण और डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्रों के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।

घाना और नामीबिया जैसे देशों में लिथियम, बॉकसाइट, यूरेनियम, कोबाल्ट और रेयर अर्थ का समृद्ध भंडार है। वहीं अर्जेंटीना, चिली और बोलीविया का “लिथियम ट्रायंगल” भारत की बैटरी तकनीक और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति शृंखला के लिए महत्वपूर्ण हो गया है।

भारत की खनिज कूटनीति का उद्देश्य केवल संसाधन हासिल करना नहीं है, बल्कि दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूती देना है, जिसमें प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे के निवेश के माध्यम से साझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

इस साल जनवरी में KABIL (खनिज विदेश भारत लिमिटेड) ने अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत में 15,703 हेक्टेयर क्षेत्र में लिथियम खनन परियोजना के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया। यह भारत की पहली सरकारी लिथियम खनन परियोजना होगी, जिससे चीन पर भारत की निर्भरता में भारी कमी आएगी।

नामिबिया में भारत यूरेनियम और कोबाल्ट सहित कई खनिजों के लिए संयुक्त उद्यम स्थापित करने की दिशा में अग्रसर है।

घाना की यात्रा के दौरान मोदी घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा से मुलाकात करेंगे, और डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर तथा क्रिटिकल मिनरल्स पर समझौतों की उम्मीद है।

त्रिनिदाद और टोबैगो खनिज संसाधनों के लिए प्रमुख नहीं है, लेकिन कैरिबियन क्षेत्र में इसकी रणनीतिक स्थिति और लॉजिस्टिक क्षमता भारत की खनिज कूटनीति में अहम भूमिका निभा सकती है।

भारत की यह पहल न सिर्फ आर्थिक प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में नई बहुध्रुवीय खनिज व्यवस्था की नींव भी रखती है, जिसमें भारत एक प्रमुख शिल्पकार बनने की ओर अग्रसर है।

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