Tuesday 15th of April 2025 09:48:41 AM
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भारत को ऊर्जा संबंधों का व्यापक और विविध नेटवर्क विकसित करना अनिवार्य: एस. जयशंकर

मुंबई: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को कहा कि विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, भारत के लिए ऊर्जा संबंधों का एक व्यापक और विविध नेटवर्क विकसित करना अनिवार्य है। वे मुंबई में बिजनेस टुडे इवेंट में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि आने वाले दशकों में अनुकूल ऊर्जा माहौल सुनिश्चित करना, भारत की प्रमुख कूटनीतिक प्राथमिकताओं में से एक है। यह केवल जीवाश्म ईंधनों (fossil fuels) तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें नवीकरणीय ऊर्जा का बड़े पैमाने पर विकास और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों की संभावना की खोज भी शामिल है।

“दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को ऊर्जा संबंधों का एक व्यापक और विविध सेट अवश्य बनाना चाहिए,” – एस. जयशंकर, विदेश मंत्री

उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत के दूतावास और राजनयिक मिशन व्यापारिक हितों को बढ़ावा देने में पहले से कहीं अधिक सक्रिय हो गए हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियों को उचित मार्गदर्शन और सहायता मिल रही है।

यूक्रेन संघर्ष और ऊर्जा नीति:
जयशंकर ने परोक्ष रूप से यूक्रेन संघर्ष के दौरान रूस से भारत द्वारा तेल आयात का हवाला देते हुए कहा कि:

“हर देश ने उस समय अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार निर्णय लिए, भले ही उन्होंने कुछ और दिखाया हो।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की ऊर्जा नीति में आत्मनिर्भरता और बहुपक्षीय संबंध अहम हैं।

भारत की बहुस्तरीय कूटनीति:
जयशंकर ने भारत की कूटनीतिक संतुलन शक्ति की सराहना करते हुए कहा कि भारत रूस और यूक्रेन, इज़राइल और ईरान, डेमोक्रेटिक वेस्ट और ग्लोबल साउथ, BRICS और QUAD—इन सभी के साथ समानांतर रूप से संवाद कर सकता है।

वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर टिप्पणी:
जयशंकर ने कहा कि आज की दुनिया औद्योगिक नीतियों, निर्यात नियंत्रण और टैरिफ युद्धों की सच्चाई से जूझ रही है, जबकि दशकों तक वैश्वीकरण की प्रशंसा की जाती रही है। उन्होंने कहा कि अब ज़रूरत है कि देश रुझानों को पहचानें और अपनी नीतियों को अनुकूलित करें।

उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था के ‘de-risking’ की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इसका हल विविध विनिर्माण, नवाचार और मजबूत व्यापार के ज़रिए ही संभव है, जिसमें खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा भी शामिल हो।

डिजिटल युग और डेटा सुरक्षा:
उन्होंने कहा कि AI और डिजिटल युग में डेटा की उत्पत्ति, प्रक्रिया और उपयोग को लेकर असुरक्षा की भावना और बढ़ गई है। ऐसे में प्राइवेसी और सुरक्षा को बाजार की गति के साथ संतुलित करना आवश्यक है।

निष्कर्ष:
जयशंकर ने कहा कि भारत को वर्तमान वैश्विक पुनर्संरचना (global reordering) में अपनी भूमिका को मजबूत करना चाहिए और अधिक लोकतांत्रिक और सुरक्षित वैश्वीकरण के नए मॉडल की ओर अग्रसर होना चाहिए।

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