Tuesday 1st of July 2025 05:22:01 AM
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भारत-अंगोला रक्षा सहयोग: रणनीतिक साझेदारी का नया स्तंभ क्यों बन रहा है?

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ लौरेंको के बीच शनिवार को हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान रक्षा सहयोग एक प्रमुख विषय बनकर उभरा। दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में साझेदारी को रणनीतिक प्राथमिकता देते हुए सैन्य प्रशिक्षण, समुद्री सुरक्षा और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में सहयोग को और गहरा करने का निर्णय लिया।

🇮🇳 $200 मिलियन की रक्षा क्रेडिट लाइन:

प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत ने अंगोला को $200 मिलियन की रक्षा क्रेडिट लाइन देने को मंजूरी दी है ताकि अंगोला अपनी सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण को बढ़ावा दे सके। इस सहायता से रक्षा प्लेटफॉर्म की मरम्मत और प्रशिक्षण की व्यवस्था भी शामिल होगी।

🤝 रक्षा सहयोग के ऐतिहासिक और रणनीतिक आयाम:

भारत और अंगोला के रिश्ते औपनिवेशिक-विरोधी एकजुटता और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में भारत की भागीदारी (जैसे UNAVEM III) पर आधारित रहे हैं। अब दोनों देश अफ्रीका के अटलांटिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग के ज़रिए अपने रिश्तों को एक नई दिशा दे रहे हैं।

🛡️ प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण:

भारत का ITEC कार्यक्रम लंबे समय से अफ्रीकी देशों को सैन्य प्रशिक्षण देता रहा है। अंगोला के लिए यह सहयोग विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दीर्घकालिक गृहयुद्ध के बाद सैन्य पेशेवर दक्षता और ढांचे को सुदृढ़ करने की प्रक्रिया में है।

🌊 समुद्री सुरक्षा में सहयोग:

अंगोला की अटलांटिक तटरेखा और गिनी की खाड़ी में स्थित सामरिक स्थिति को देखते हुए समुद्री सुरक्षा भारत और अंगोला दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। यह क्षेत्र समुद्री डकैती, मादक पदार्थ तस्करी और अवैध मछली पकड़ने जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है। भारतीय नौसेना पहले ही लुआंडा बंदरगाह का दौरा कर चुकी है।

🌍 भौगोलिक और वैश्विक रणनीति:

अंगोला जहां चीन और रूस जैसे पारंपरिक साझेदारों से आगे बढ़कर नए सहयोगी तलाश रहा है, वहीं भारत अपने इंडो-पैसिफिक विजन के तहत अफ्रीका में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए रणनीतिक रूप से गिनी की खाड़ी को एक द्वार मानता है।

🛤️ लोबिटो कॉरिडोर और भारत की भूमिका:

अमेरिका और यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित लोबिटो कॉरिडोर, जो ज़ांबिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की खनिज संपत्तियों को अंगोला के बंदरगाह से जोड़ेगा, भारत-अंगोला के लिए एक नया अवसर प्रदान करता है। इससे भारत को रणनीतिक बुनियादी ढांचे में भी भागीदारी का मौका मिलेगा।

🇨🇳 चीन के प्रभाव को संतुलित करने की पहल:

विशेषज्ञों के अनुसार, यह रक्षा साझेदारी अंगोला में चीन के प्रभाव को संतुलित करने की भारत की रणनीति का हिस्सा है। चीन द्वारा अंगोला को भारी कर्ज दिए गए हैं, जिनकी भरपाई तेल और खनिजों के माध्यम से हो रही है। भारत एक पारदर्शी और सहयोगात्मक विकल्प के रूप में उभर रहा है।


भारत और अंगोला के बीच रक्षा सहयोग केवल द्विपक्षीय रिश्तों का विस्तार नहीं, बल्कि यह अफ्रीका के अटलांटिक तटीय क्षेत्रों में स्थायित्व, विकास और सुरक्षा के लिए एक नई साझेदारी का मॉडल बन रहा है।

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