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Independence Day 2024: भारत के स्वतंत्रता संग्राम ने कैसे दुनिया को किया प्रभावित?

Independence Day 2024: भारत के स्वतंत्रता संग्राम ने कैसे दुनिया को किया प्रभावित?

भारत कल अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति की इस ऐतिहासिक घटना ने न केवल भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराया, बल्कि दुनियाभर के राष्ट्रवादी आंदोलनों को भी प्रेरित किया। इस स्वतंत्रता संग्राम की गूंज को सुनकर कई देशों ने अपनी स्वतंत्रता की दिशा में कदम बढ़ाए और औपनिवेशिक व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष किया।

दक्षिण कोरिया: भारत की स्वतंत्रता का प्रभाव

दक्षिण कोरिया इस प्रभाव का एक प्रमुख उदाहरण है। भारत की स्वतंत्रता ने राष्ट्रवादी आंदोलनों को एक नई दिशा दी और उपनिवेशवाद से मुक्ति का एक प्रेरणादायक मॉडल प्रस्तुत किया। 1950 तक, यह पुरानी औपनिवेशिक व्यवस्था अपनी ताकत और प्रासंगिकता खो चुकी थी, जिसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों, जापान और फ्रांस को अपने उपनिवेशों को खोना पड़ा।

दक्षिण कोरिया का स्वतंत्रता आंदोलन भी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से गहरे प्रभावित था। भारत और कोरियाई प्रायद्वीप के बीच स्वतंत्रता-पूर्व संबंधों के प्रमाण सियोल के एक छोटे से पार्क में देखे जा सकते हैं। 15 अगस्त, 1947 को भारत की स्वतंत्रता से ठीक दो साल पहले, कोरियाई प्रायद्वीप 35 साल के जापानी कब्जे से मुक्त हो गया था।

1919 का मार्च फर्स्ट आंदोलन, जो टैपगोल पार्क से शुरू हुआ था, कोरियाई स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। कुछ कोरियाई शिक्षाविदों का मानना है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन ने मार्च फर्स्ट आंदोलन को प्रेरित किया था। जापान-कोरिया संधि (1905) और 1910 के बाद कोरियाई प्रायद्वीप पर जापानी कब्जे की स्थिति ने कोरियाई स्वतंत्रता संग्राम को और अधिक निर्णायक बना दिया।

1920 और 1930 के दशक के बीच कोरियाई अखबारों में प्रकाशित लेखों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, विशेषकर महात्मा गांधी के आंदोलनों, के प्रति गहरी जागरूकता और सम्मान को दर्शाया। महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर, कोरियाई राष्ट्रवादी नेता चो मान-सिक ने स्थानीय वस्तुओं के प्रयोग और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का प्रस्ताव रखा।

दिसंबर 1922 में, योम ताए-जिन और यी क्वांग-सु जैसे नेताओं ने सियोल में सेल्फ प्रोडक्शन एसोसिएशन का गठन किया, जो स्थानीय वस्तुओं की खपत को बढ़ावा देने के उद्देश्य से था। डोंग-ए-इल्बो अखबार के अध्यक्ष किम सुंग-सू ने अक्टूबर 1926 में महात्मा गांधी को पत्र लिखकर कोरियाई लोगों के लिए संदेश भेजने का अनुरोध किया।

आज, आधुनिक दक्षिण कोरिया में महात्मा गांधी को अत्यधिक सम्मान प्राप्त है। 2019 में, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधी की 150वीं जयंती पर सियोल में महात्मा गांधी की प्रतिमा का अनावरण किया, जिसमें दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन भी मौजूद थे।

भारत की स्वतंत्रता संग्राम की कहानी ने न केवल हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणास्त्रोत साबित हुई। स्वतंत्रता का यह आंदोलन न केवल भारतीयों के दिलों में, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी अमिट छाप छोड़ चुका है।

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