भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने कहा कि राज्य उत्पाद विभाग उर्फ़ सिंडिकेट उर्फ़ तिवारी बंधुओं का अब एक ही नारा है-
हुई महँगी बहुत शराब, थोड़ी-थोड़ी पिया करो
कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि राज्य में लगभग दो हजार करोड़ का मदिरा का थोक व्यवसाय चुने हुए निजी व्यवसाय को सौंपने एवं पूरे मामले में हुए जालसाजी और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग भारतीय जनता पार्टी करती है। उन्होने कहा कि ओडिशा,बंगाल, राजस्थान समेत कई राज्यों ने स्टेट बेवेरेज कारपोरेशन बनाया है। उसी तर्ज पर बने झारखण्ड स्टेट बेवेरेज लिमिटेड को आज निरर्थक बनाकर यहाँ कार्टल, भ्रष्टाचार एवं सिंडिकेट को स्थापित किया जा रहा है।
कुणाल ने कहा कि विभाग द्वारा की गयी अंतिम प्रक्रिया यह साबित करती है कि सिंडीकेट के सदस्यों के लाइसेंस बेहद जल्दबाजी में जारी किये गए हैं एवं अन्य सभी आवेदनों को ख़ारिज कर दिया गया है।जिसके परिणामस्वरुप थोक व्यापार का पूरा कारोबार राज्य के नियंत्रण से गंभीर राजस्व नुक्सान की कीमत पर मुठ्ठी भर व्यक्तियों को सौंप दिया गया है।
सभी सफल आवेदक जामताड़ा-दुमका और मिहिजाम के कैसे ?
कहा कि लाइसेंस प्राप्त सभी सफल आवेदक द्वारा दिए गये बैंक के ज्यादातर विवरण पंजाब नेशनल बैंक जामताड़ा, भारतीय स्टेट बैंक मिहिजाम, या पंजाब नेशनल बैंक दुमका के हैं।. ज्यादातर सफल आवेदक गोड्डा, जामताड़ा या दुमका जिलों से हैं और उनमें से कुछ रांची और धनबाद के होने के बावजूद उनके बैंक अकाउंट जामताड़ा या दुमका के हैं।
कुणाल ने कहा की स्पष्ट है कि आवेदक सिर्फ नाम के लिए अलग हैं लेकिन पूरा पैसा एक स्त्रोत के माध्यम से निवेश किया गया है। आवेदकों से सम्बंधित बैंकखातों के लेन-देन यह इंगित करते हैं कि एक आवेदक दूसरे से जुड़े हुए हैं और यह जानना मुश्किल है कैसे और किस स्त्रोत से वैध और प्रमाणिक या अवैध तरीके से राशियाँ जमा की गयी और त्वरित परिणाम में वापस भी ले ली गई।
उन्होने कहा कि ज्यादातर सफल लाइसेंसधारी जामताड़ा और दुमका से हैं भले ही उनका पता किसी अन्य जिले का हो। अगर इस मामले की जाँच की जाए तो पूरी प्रक्रिया सुनियोजित मानी लॉन्ड्रिंग का बेहतरीन उदाहरण है।
हर रोज 75 लाख रुपये का कलेक्शन
कुनाल षाड़ंगी ने कहा कि राज्य में बिकने वाले हर शराब के बोतल पर 10-50 रूपये की वसूली सिंडिकेट कर रहा है जो रोजाना लगभग 75 लाख रूपये की है, जिसपर विभाग चुप है।
विभागीय वेबसाइट पर अब भी 2018-19 का ही रेट कार्ड है और किसी भी दुकान में रेट लिस्ट नहीं लगी है। इससे स्पष्ट है कि इसे विभागीय मौन सहमति है। एक्साइज पॉलिसी किसी भी तरह के एकाधिकारकी अनुमति नहीं देती क्योंकि राजस्व हानि के साथ-साथ व्यापारी कम गुणवत्ता वाले शराब की बिक्री के लिए भी कर सकते हैं,जिससे राज्य की जनता के स्वास्थ्य के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इन तथ्यों के आलोक में यह कहा जा सकता है कि राज्य सरकार के संलिप्तता के बिना मनी लॉन्ड्रिंग, राज्य कर की चोरी और हवाला के जरिए पैसों के लेन-देन के माध्यम से किए गये इतने बड़े घोटाले को अंजाम नहीं दिया जा सकता।
भाजपा को शराब निलामी पर बोलने का हक नहीं- कांग्रेस
झारखंड में शराब का सरकारीकरण करने वाली भाजपा को शराब की नीलामी पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, उक्त बातें प्रतिक्रिया स्वरूप प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कही। राकेश सिन्हा ने कहा कि सर्वप्रथम भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके बड़े पदाधिकारी और विधायक जो शराब व्यापार से जुड़े हैं उनकी स्थिति क्या है, एक और जहां रघुवर दास की सरकार ने खुद शराब बेचकर राज्य के राजस्व का काफी नुकसान कर अपनी तिजोरी भरने का काम किया। वही केंद्र में बैठी भाजपा नीत सरकार राज्य के हक का पैसा भी नहीं दे रही है, उस परिस्थिति में राज्य खुद अपना राजस्व विभिन्न स्रोतों से संग्रह करते हुए राज्य के विकास में अपनी प्रतिबद्धता दर्शा रही है।
राकेश सिन्हा ने कहा भाजपा को राज्य और राज्य की जनता को अगर इतनी ही चिंता है तो शराब के नीलामी पर संवाददाता सम्मेलन आयोजित ना कर गैस सिलेंडरों के दामों में जो भी हाल में 25 की वृद्धि हुई है, उस पर संवाददाता सम्मेलन करती तो ज्यादा अच्छा रहता। भाजपा अपनी हर नाकामियों का ठीकरा महा गठबंधन सरकार पर फोड़ने का काम ना करें।