पाकिस्तान में CAA का लागू होना चर्चा में
भारत में CAA (नागरिकता संशोधन कानून) के लागू होने के बाद से ही इसका विवाद चर्चा में है। CAA का मुख्य उद्देश्य है धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़े लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना। यह कानून भारतीय नागरिकता कानून 1955 के तहत धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लिए एक विशेष छूट प्रदान करता है। इसके बावजूद, इसे लेकर कई विवाद उठे हैं और इसके बारे में कई भ्रांतियां फैलाई गई हैं।
क्या भारतीय मुस्लिमों को मिलेगी नागरिकता?
CAA का मुख्य विरोध यह है कि इसके तहत केवल धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को ही नागरिकता मिलेगी और इसमें मुस्लिम समुदाय शामिल नहीं है। यह एक भ्रांति है क्योंकि CAA केवल नागरिकता का मामला है और इसका कोई सीमा नहीं है कि किसी विशेष धर्म के लोगों को ही नागरिकता मिलेगी। भारतीय मुस्लिम नागरिकों की नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वे अपनी मौजूदा नागरिकता बरकरार रखेंगे।
वायरल दावे की सच्चाई क्या है?
CAA के बारे में कई वायरल दावे फैलाए गए हैं, जिनमें से कुछ सच्चाई के आधार पर हैं और कुछ गलत साबित हुए हैं। एक वायरल दावा था कि CAA के तहत केवल मुस्लिम धार्म के लोगों को नागरिकता नहीं मिलेगी। यह दावा गलत है क्योंकि CAA धार्म के आधार पर नागरिकता नहीं देता है, बल्कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को विशेष छूट प्रदान करता है। इसके अलावा, CAA के बारे में और भी कई वायरल दावे हैं जैसे कि इसके तहत नागरिकता प्राप्त करने के लिए दस साल का निवासी होना आवश्यक है और इससे पहले अपनी धार्मिकता साबित करनी होगी। ये सभी दावे गलत हैं और इसका कोई आधिकारिक सत्यापन नहीं है।
इसलिए, यदि हम सच्चाई की ओर देखें तो CAA भारतीय नागरिकता कानून का एक अंश है और इसका उद्देश्य धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को विशेष छूट प्रदान करना है। इसका मतलब यह नहीं है कि इसके तहत केवल धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को ही नागरिकता मिलेगी और अन्य समुदायों को नहीं। भारतीय मुस्लिम नागरिकों की नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा और वे अपनी मौजूदा नागरिकता बरकरार रखेंगे।