केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई मीटिंग में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआइजीसी) बिल और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप अमेंडमेंट बिल को अनुमति दी गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि डीआइजीसी बिल के तहत किसी बैंक के मोराटोरियम के तहत होने पर भी 5 लाख रुपये तक के डिपॉजिट का इंश्योरेंस होगा। इसमें सभी बैंकों में किसी भी प्रकार के 5 लाख रुपये तक के डिपॉजिट पर इंश्योरेंस की सुरक्षा मिलेगी।
बैंकों के 98.3 फीसदी ग्राहक कवर हो जाएंगे
सीतारमण ने बताया कि बैंक के मोराटोरियम के तहत होने पर ही यह उपाय लागू होगा। मुश्किल में फंसे बैंक को पहले 45 दिनों में इंश्योरेंस कॉरपोरेशन को सौंपा जाएगा। रिजॉल्यूशन का इंतजार किए बिना 90 दिनों के अंदर प्रोसेस को पूरा कर लिया जाएगा। इससे मोराटोरियम का सामना कर रहे बैंकों को राहत मिलेगी। इसमें सभी डिपॉजिट में से 98.3 प्रतिशत कवर हो जाएंगे। सीतारमण ने बताया कि डिपॉजिट की वैल्यू के लिहाज से यह 50 प्रतिशत से अधिक कवरेज होगी।
लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट में संशोधन
मंत्रिमंडल ने लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट में पहले संशोधन का भी बुधवार को प्रस्ताव दिया। इसके तहत एलएलपी के लिए कुल 12 गड़बड़ियों को अपराध मानने से हटाया जाएगा। इससे बहुत से स्टार्टअप्स को भी फायदा होगा। एलएलपी की नई परिभाषा आने से इस कैटेगरी में आने वाली फर्मों को आसानी होगी। हाल के वर्षों में कुछ को-ऑपरेटिव बैंकों के दिवालिया होने से इनके डिपॉजिटर्स को बड़ा नुकसान हुआ था। इसी के मद्देनजर डिपॉजिट पर इंश्योरेंस देने का फैसला किया गया है।