रांची : भारत सरकार लोगों को सस्ती जेनेरिक दवाईयां उपलब्ध कराने के अभियान के तहत देश भर में सरकारी जेनेरिक दवाओं की दुकान “जन औषधि केंद्र” की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयासरत है| लेकिन, झारखण्ड सहित कई राज्य सरकारों के असहयोग के कारण इसका अपेक्षित विस्तार नहीं हो पा रहा है|
राज्यसभा में शुक्रवार को सांसद महेश पोद्दार ने प्रश्न के माध्यम से यह मुद्दा उठाया जिसका उत्तर देते हुए स्वास्थ्य तथा रसायन एवं ऊर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने जन औषधि केंद्रों से संबंधित विवरण दिया|
उन्होंने बताया कि सरकार ने 02 अगस्त 2021 तक देश के सभी जिलों को कवर करते हुए 8,001 प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले हैं और मार्च 2025 तक लगभग 10,500 जन औषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य है| राज्य सरकारों से समय-समय पर अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के परिसरों में जन औषधि केंद्र खोलने की सुविधा के लिए किराया रहित स्थान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है| 02 अगस्त 2021 की स्थिति के अनुसार, सरकारी परिसर के अंदर लगभग 1,012 केंद्र काम कर रहे हैं|
जन औषधि केंद्रों को दवाईयों के लॉजिस्टिक और वितरण को सहायता प्रदान करने के लिए 37 वितरकों का एक देशव्यापी नेटवर्क भी स्थापित किया गया है| सरकार ने हाल ही में स्टोर मालिकों को दिये गए प्रोत्साहन को वर्तमान 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5.00 लाख रुपये कर दिया है|
महेेश पोद्दार ने कहा कि यदि राज्य सरकार राज्य के सभी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में जन औषधि केंद्रों के संचालन में रुचि दिखाये तो गरीबों को सस्ती और प्रामाणिक दवायें उपलब्ध हो सकेंगी| उन्होंने याद दिलाया कि राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में स्थित जन औषधि केंद्र की खराब हालत के बारे में वे कई बार ध्यान आकृष्ट कर चुके हैं| राज्य के दूसरे सरकारी अस्पतालों की हालत तो रिम्स से भी ज्यादा खराब है|