सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि महिला के साथ ससुराल में घरेलू हिंसा होती है तब Husband ही दोषी माना जाएगा । इससे फर्क नहीं पड़ता कि प्रताड़ना खुद उसने की है या उसके परिवार ने । चीफ जस्टिस ने कहा कि महिला के साथ ससुराल में मारपीट होती है तो पति को ही जिम्मेदार माना जाएगा, उनका कहना था कि इससे उन्हें कोई मतलब नहीं कि मारपीट किसने की है ।
पति की जमानत याचिका खारिज
दरअसल, प्रार्थी के वकील ने कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल करते हुए कहा था कि महिला के साथ मारपीट Husband ने नहीं की है बल्कि ससुर ने की है । इसपर चीफ जस्टिस ने गुस्से में कहा कि तुम कैसे आदमी हो ? जब तुम्हारे पिता तुम्हारी पत्नी को बैट से पीट रहे थे तो तुमने रोका क्यों नहीं । तुम जैसे इंसान की जगह समाज में नहीं, बल्कि जेल में ही है ।
क्या था पूरा मामला?
लुधियाना के एक थाने में 2017 में दर्ज शिकायत में एक महिला ने अपने ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए कहा था कि उसके ससुराल वाले उसे क्रिकेट के बैट से पीटते हैं । जिससे उसका गर्भपात हो गया हाईकोर्ट ने महिला के ससुराल वालों की जमानत याचिका खारिज करते हुए Husband, ससुर और सास को सात साल जेल की सज़ा सुनाई थी । उसके बाद पति ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था ।