नई दिल्ली:
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस सप्ताह प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन हिज्ब उत-तहरीर (HuT) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू की है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब दक्षिण एशिया में कट्टरपंथी तत्वों का प्रभाव बढ़ रहा है।
बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार से अब तक कम से कम 36 HuT सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें संगठन के प्रमुख आयोजकों में से एक, सैफुल इस्लाम भी शामिल हैं। ढाका के बैतुल मुक़र्रम मस्जिद के बाहर एक अवैध सभा में शामिल होने के आरोप में पुलिस ने यह कार्रवाई की।
भारत पर असर:
भारत के लिए यह कार्रवाई महत्वपूर्ण है क्योंकि HuT लंबे समय से शिक्षित युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश करता रहा है। पश्चिम बंगाल और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में भी इस संगठन के प्रभाव को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क रही हैं।
भारत-बांग्लादेश संबंधों के संदर्भ में यह कार्रवाई ऐसे समय हो रही है जब प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार अगस्त 2024 में छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बाद सत्ता से बाहर हो गई थी। इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया। लेकिन हसीना के हटने के बाद बांग्लादेश में इस्लामी चरमपंथी तत्वों का प्रभाव बढ़ा, जिससे धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले भी हुए। भारत ने इन घटनाओं पर लगातार चिंता जताई थी।
अब, बांग्लादेश सरकार के इस सख्त कदम को नई दिल्ली में सकारात्मक रूप में देखा जा रहा है।
हिज्ब उत-तहरीर: इसका प्रभाव और इतिहास
हिज्ब उत-तहरीर एक वैश्विक पैन-इस्लामिक संगठन है, जिसका उद्देश्य इस्लामी खिलाफत की पुनर्स्थापना और शरीयत को वैश्विक स्तर पर लागू करना है। इसे 1953 में फिलिस्तीनी विद्वान तकी अल-दीन अल-नभानी ने स्थापित किया था।
बांग्लादेश में इसका प्रभाव वर्ष 2000 में शुरू हुआ, लेकिन 2009 में इसे “सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा” बताकर प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालांकि, रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रतिबंध के बावजूद संगठन प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों, विश्वविद्यालयों, मदरसों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर सक्रिय बना रहा।
बांग्लादेश सरकार का संदेश:
इस कार्रवाई का एक बड़ा संदेश यह भी है कि बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से भारत और अमेरिका के साथ बेहतर संबंध बनाए रखना चाहता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद बांग्लादेश सरकार ने इस्लामी कट्टरपंथ पर सख्ती दिखाने का फैसला लिया। ट्रंप प्रशासन की खुफिया प्रमुख तुलसी गबार्ड ने भी बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है।
इसके अलावा, 2026 में बांग्लादेश “विकासशील देश” के दर्जे तक पहुंचेगा और 2031 तक $1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखता है। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत के साथ सहयोग महत्वपूर्ण होगा।
निष्कर्ष:
बांग्लादेश सरकार की यह कार्रवाई भारत के लिए सकारात्मक संकेत है, जिससे सीमाई सुरक्षा सहयोग को और अधिक मजबूती मिल सकती है। इससे कट्टरपंथ पर लगाम लगाने और द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता लाने में मदद मिलेगी