
भारतीय जनता पार्टी पिछड़ा जाति मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ निखिल आनंद ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि राज्य के विकास विरोधी और धार्मिक तुष्टिकरण करने वाले हेमंत सरकार के विरुद्ध भाजपा द्वारा संवैधानिक तरीके से विधानसभा घेराव किया गया था। लेकिन राज्य सरकार के इशारे पर पुलिस ने भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों, मोर्चा कार्यकर्ताओं पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया गया । निखिल आनंद ने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं की पिटाई करना लोकतंत्र की हत्या है।
महिला, किसान युवा और दलित विरोधी है हेमंत सरकार
भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री निखिल आनंद ने कहा कि हेमन्त सरकार न सिर्फ विकास विरोधी है, बल्कि यह महिला, युवा, किसान और दलित विरोधी सरकार भी है। उन्होने कहा कि की भ्रष्टाचारी कॉंग्रेस व राजद की गोद में बैठ कर हेमन्त सोरेन खुद को पाक-साफ कहते हैं, ये मजाक नहीं तो और क्या है । उन्होने कहा कि इनका मकसद मात्र एक विशेष समुदाय को खुश कर उनका वोट हासिल करना है। यह सरकार केवल धार्मिक तुष्टिकरण कर रही है जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।
ओबीसी समाज के लिए नरेन्द्र मोदी से ज्यादा किस नेता ने काम किया ?
निखिल आनंद ने कहा कि काका कालेकर की रिपोर्ट व मण्डल आयोग की रिपोर्ट के बाद या कहे तो देश की आजादी के 70 सालों के बाद पहली बार केंद्र की भाजपा की नरेंद्र मोदी की सरकार ने ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के काम किया है और पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में ओबीसी के 27 मंत्री को शामिल किया गया है। भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने ओबीसी समाज को सम्मान देने का कार्य किया है और झारखंड राज्य से भी ओबीसी समाज से एक महिला को केंद्र में मंत्री बनाया गया है ।
झारखण्ड सरकार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का वादा पूरा करे
राज्य के हेमन्त सरकार द्वारा ओबीसी समाज के खिलाफ उदासीनता व वादा खिलाफी का विरोध में व 27 प्रतिशत आरक्षण नही देने का विरोध करते है तथा पूर्व में रघुवर दास की सरकार में शुरू हुए ओबीसी सर्वे को भी सत्ता में आने के साथ बंद कर दिया। राज्य में ओबीसी समाज के लगभग 52 प्रतिशत से अधिक है जो इसे बर्दाश्त नही करेगी। इसलिए राज्य सरकार जल्द से जल्द 27 प्रतिशत आरक्षण दें।
जातिगत जनगणना के 55 हजार करोड़ रुपये एनजीओ को बांट दिए गये
उन्होने कहा कि कांग्रेस, आरजेडी और झामुमो बताए कि आखिर 2011 में जातिगत जनसंख्या जनगणना सर्वे सेंसेक्स बिल में फेरबदल कर जातिगत जनगणना को हटा कर कैसे आखिर 55 हजार करोड़ रुपये के पैसे का बंदरबांट NGOs वैगरह को देकर किया इसकी भी उच्च स्तरीय जाँच होनी चाहिए