अमित सहाय/ संवाददाता उज्जवल दुनिया
गिरिडीह । विधानसभा भवन को धार्मिक केन्द्र बनाकर तुष्टिकरण की राजनीति, राज्य के युवाओं के साथ वादाखिलाफी, किसानों के विरुद्ध मुकदमा, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष घोषित ना करना, डॉक्टर्स का वेतन रोककर उर्दू शिक्षकों को वेतन देने जैसे कई ज्वलंत और जनविरोधी मुद्दों के विरोध में भारतीय जनता पार्टी ने जुलूस निकाला और हेमंत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
किन-किन रास्तों से होकर गुजरा भाजपा का आक्रोश मार्च ?
दोपहर 3 बजे गिरिडीह के झण्डा मैदान में एकत्रित होकर जिलाध्यक्ष महादेव दुबे के नेतृत्व आक्रोश मार्च जेपी चौक, कालीबाड़ी चौक, मकतपुर चौक, जिला परिषद चौक के रास्ते पुनः टावर चौक पर आकर खत्म हुआ । नुक्कड़ सभा को संबोधित करने के उपरांत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं विधानसभा अध्यक्ष रविन्द्र नाथ महतो का पुतला दहन किया गया।
हम तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ- जयप्रकाश वर्मा
सभा को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित गाण्डेय के पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा ने कहा कि भारत विश्व का ना केवल सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है बल्कि सबसे बड़ा धर्मनिरपेक्ष देश भी है। जहाँ सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार और समान व्यवस्था प्राप्त है। ऐसे में, केवल मुस्लिम भाइयों के लिए विधानसभा भवन में नमाज़ अदा करने के लिए कमरा आवंटित होना, बेहद चिंता का विषय है।
बाबूलाल मरांडी से डरती है सरकार, इसलिए उन्हें विपक्ष का नेता घोषित नहीं कर रही- महादेव दुबे
जिलाध्यक्ष महादेव दुबे ने कहा कि सरकार हर मोर्चे पर विफल है, उसकी नाकामी का उजागर जनता के सामने ना हो जाये, इसी डर से विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को प्रतिपक्ष का नेता घोषित नहीं कर रही है। भाजपा कार्यकत्ताओं ने अनुशासित होकर लगभग 2 साल इंतेज़ार कर लिया है अब सरकार की नाकामियों के गिनाने के लिए सड़क से सदन तक आंदोलन करने हेतु भाजपा कार्यकर्ता बाध्य हो चुके हैं।
कौन-कौन थे मौजूद ?
इस मौके पर जिला महामंत्री सुभाष चन्द्र, संदीप डंगायच, दिनेश यादव, चुन्नू कांत, कामेश्वर पासवान, सुनील पासवान, सोनू एजाज, इंजी विनय सिंह, विनीता कुमारी, शालिनी वैसखियार, सदानंद राम, संजय सिंह, सिकंदर हेम्ब्रम, नवीन सिन्हा, निर्भय सिंह, रागिनी लहेरी, मुकेश जालान, मनोज मौर्या, मोतीलाल उपाध्याय, दिलीप वर्मा, रंजीत राय, संगीता सेठ, महेश राम, दारा हाज़रा, राजेश जयसवाल, ओमप्रकाश मंडल, हरमिंदर सिंह बग्गा, मिथुन चंद्रवंशी, अनिल वर्मा, पिंटू कुमार, दिनेश महतो, दुर्योधन वर्मा, सुरेश मंडल, अजय रंजन सिंह, रामचन्द्र ठाकुर, समेत सैकड़ों महिला व पुरुष कार्यकर्ता शामिल थे।