नई दिल्ली, 16 मई 2025: पहलगाम आतंकी हमले के कुछ ही हफ्तों बाद भारत ने तालिबान से सीधे संवाद करते हुए अपनी अफगान नीति में एक नया अध्याय जोड़ा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को तालिबान-नियुक्त कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से बातचीत की, जिसमें सुरक्षा, आतंकवाद और क्षेत्रीय स्थिरता के मुद्दों पर चर्चा हुई।
जयशंकर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “आज शाम अफगान कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी से अच्छी बातचीत हुई। पहलगाम आतंकी हमले की उनकी कड़ी निंदा की सराहना करता हूं। अफगान लोगों के साथ भारत की पारंपरिक मित्रता और उनके विकास में सहयोग पर चर्चा की गई।”
अफगान विदेश मंत्रालय ने भी पुष्टि की कि बातचीत में द्विपक्षीय संबंध, व्यापार बढ़ाने, और दूतावासों के स्तर पर संपर्क सुधारने पर जोर दिया गया। मुत्ताकी ने अफगान व्यापारियों और मरीजों के लिए वीजा प्रक्रियाएं आसान करने और भारत में बंद अफगानों की रिहाई का अनुरोध भी किया।
बातचीत का अंत ईरान के चाबहार बंदरगाह के विकास पर सहयोग बढ़ाने की सहमति से हुआ।
यह पहली बार है जब तालिबान की 2021 में सत्ता में वापसी के बाद भारत के विदेश मंत्री ने सीधे तालिबान विदेश मंत्री से बात की है। पिछली राजनीतिक बातचीत दिसंबर 1999 में हुई थी, जब जसवंत सिंह ने तालिबान के विदेश मंत्री वकील अहमद मुत्तवाकिल से कंधार में IC-814 विमान अपहरण के दौरान बात की थी।
भारत की रणनीतिक बदलाव की झलक:
2021 के बाद भारत ने कूटनीतिक दृष्टिकोण में धीरे-धीरे बदलाव लाते हुए 2022 में काबुल में तकनीकी टीम के रूप में मिशन फिर से खोला, बिना तालिबान शासन को मान्यता दिए।
इसके बाद:
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जनवरी 2025: दुबई में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मुत्ताकी से मुलाकात की।
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अप्रैल 2025: विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव एम आनंद प्रकाश ने काबुल में मुत्ताकी से बैठक की।
बातचीत में वीजा, व्यापार, राजनयिक संपर्क, और विकास परियोजनाओं पर जोर दिया गया।
भारत की चिंताएं और रणनीति:
भारत का यह रुख पाकिस्तान और चीन से रणनीतिक संतुलन बनाए रखने की दृष्टि से भी अहम है। विशेषज्ञ अभिनव पांड्या के अनुसार, “भारत को तालिबान को समर्थन देना चाहिए ताकि पाकिस्तान कमजोर हो। तालिबान ने पहलगाम हमले की निंदा की है। भारत को मानवीय सहायता देकर तालिबान को स्थिरता प्रदान करनी चाहिए।”
पांड्या ने सुझाव दिया कि भारत को अफगानिस्तान में 5,000 टन गेहूं और चावल की आपूर्ति करनी चाहिए, जो पाकिस्तान पर दबाव डालने में मदद करेगा।
अन्य विशेषज्ञ स्मृति पटनायक ने कहा, “तालिबान अब भारत विरोधी आतंकियों को जगह नहीं दे रहा है। भारत के साथ संपर्क बढ़ाने के लिए इच्छुक है।”
निष्कर्ष:
भारत का तालिबान के साथ यह नया संवाद कठोर वैचारिक रुख से हटकर व्यावहारिक कूटनीति की ओर संकेत करता है, जहां राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय प्रभाव, और प्रगति की आवश्यकता को प्राथमिकता दी जा रही है। बदलते हालात में यह संतुलित रणनीति भारत के हितों की रक्षा में सहायक हो सकती है।