नई दिल्ली: बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने हाल ही में भारत के साथ “समान और सम्मानजनक” संबंधों की वकालत की है। यह बयान न केवल पार्टी की विदेश नीति में बदलाव का संकेत देता है, बल्कि देश के भीतर अपनी छवि को फिर से गढ़ने की कोशिश भी दर्शाता है।
BNP की अंतरराष्ट्रीय मामलों की सह सचिव बॅरिस्टर रुमीन फरहाना ने कहा, “भारत हमारा मित्र है। हम उनके साथ सकारात्मक संबंध बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन यह रिश्ता समानता और आपसी सम्मान पर आधारित होना चाहिए।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत ने अब तक केवल अवामी लीग के साथ ही प्राथमिकता के आधार पर संबंध बनाए रखे हैं।
BNP के स्थानीय नेता असीफ सिराज रब्बानी ने भी भारत सहित सभी देशों के साथ अच्छे रिश्तों की आवश्यकता जताई, लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि यह संबंध बांग्लादेश की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए ही बनाए जाने चाहिए।
यह बयान उस समय आया है जब बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अस्थिरता बनी हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अगस्त 2024 में पद छोड़ने के बाद अंतरिम सरकार ने सत्ता संभाली है। हसीना फिलहाल भारत में शरण लिए हुए हैं, जिससे भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव आया है।
हाल ही में BIMSTEC शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के बीच मुलाकात हुई, लेकिन यह बातचीत प्रतीकात्मक रही और द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने में खास असर नहीं डाल पाई।
भारत ने बांग्लादेश को दिए गए ट्रांस-शिपमेंट सुविधा को भी वापस ले लिया है, जिससे बांग्लादेश के निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा है। वहीं, बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर भारत ने लगातार चिंता जताई है। हाल ही में हिन्दू नेता भवेश चंद्र रॉय की हत्या के बाद भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
इस बीच, BNP की भारत से संबंध सुधारने की कोशिश इसलिए भी अहम मानी जा रही है क्योंकि यह पार्टी अतीत में अक्सर भारत-विरोधी रुख अपनाती रही है। BNP का यह बदलाव इस बात को दर्शाता है कि उसने अब यह समझ लिया है कि भारत के साथ संतुलित संबंध बनाना न केवल विदेश नीति के लिहाज से जरूरी है, बल्कि देश की आंतरिक स्थिरता और विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।