भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 309 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की घोषणा कर दी। इसमें झारखण्ड के आठ नेताओं को जगह मिली है। इसमें झारखण्ड के तीन पूर्व मुख्यमंत्री, दो राज्यसभा सदस्य, संगठन मंत्री एवं संगठन प्रभारी के अलावा कोडरमा सांसद को भी जगह दी गई है। जिन आठ चेहरों को जेपी नड्डा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दी गई है वे हैं- कोडरमा सांसद एवं केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा देवी, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, राज्यसभा सांसद समीर उरावं, प्रभारी संगठन मंत्री नागेन्द्र त्रिपाठी एवं धर्मपाल सिंह।
सामाजिक समीकरण का रखा ख्याल
अगर सामाजिक समीकरण की बात करें तो झारखण्ड से भाजपा की कार्यसमिति में शामिल किए गये नेताओं में दो सवर्ण (कायस्थ, ब्राह्मण), तीन आदिवासी ( मुंडा, संथाली एवं उरावं) तथा ती ओबीसी (एक पिछड़ी तथा दो अतिपिछड़ी जाति) से संबंध रखते हैं। संगठन मंत्री धर्मपास सिंह लोध समाज से आते हैं ।
क्षेत्रीय बैलेंस बनाए रखने की कोशिश
झारखण्ड के अलग-अलग क्षेत्रों की बात करें तो यहां भी सबका बैलेंस बनाने की कोशिश की गई है। रघुवर दास तथा अर्जुन मुंडा कोल्हान से आते हैं। बाबूलाल मरांडी की राजनीतिक जमीन संथाल परगना रही है। दीपक प्रकाश की कर्मभूमि रांची है तथा वे हजारीबाग के मूल निवासी हैं। अन्नपूर्णा देवी कोडरमा की सांसद हैं तथा समीर उरावं का कार्यक्षेत्र मुख्यतः गुमला रहा है।
जनजातिय समाज के तीनो प्रभुत्व वर्गों को प्रतिनिधित्व
अगर आदिवासी समुदाय को प्रतिनिधित्व देने की बात की जाय तो जेपी नड्डा की टीम में झारखण्ड के तीनों प्रभावशाली आदिवासी जातियों को जगह दी गई है। मुंडा, संथाल और उरावं को बराबर-बराबर जगह देकर नड्डा ने सबको खुश करने की कोशिश की है। झारखण्ड बाजपा में बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा के रूप में संथाली और मुंडा आदिवासी समाज पहले से प्रभावशाली रहा है। समीर उरावं को अगर उरावं जनजाति का सहयोग मिलता है तो उरावं आदिवासियों के सबसे बड़े नेता के तौर पर उभर सकते हैं।
झारखण्ड से दो सवर्ण को भी जगह
जेपी नड्डा की टीम में झारखण्ड से दो सवर्ण नेताओं को भी जगह दी गई है। प्रभारी संगठन मंत्री नागेन्द्र जी ब्राह्मण हैं, प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश कायस्थ जाति से हैं।
संगठन मंत्री धर्मपास सिंह लोध समाज से आते हैं।
ओबीसी और सदानों के सबसे बड़े नेता हैं अन्नपूर्णा देवी और रघुवर दास
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री रहते जिस वर्ग पर सबसे ज्यादा फोकस किया था वो हैं ओबीसी और सदान मतदाता। हालांकि कतियपय कारणों से रघुवर दास की हार हो गई लेकिन सबसे बड़े मतदाता वर्ग पर उनका प्रभाव आज भी दिखता है। इसी तरह अन्नपूर्णा देवी को बीजेपी ओबीसी नेता के रूप में गढ़ रही है। अब इन दोनों नेताओं को उनके समाज का कितना समर्थन मिल पाता है ये तो वक्त बताएगा लेकिन जेपी नड्डा ने तो पिछड़ी-अति पिछड़ी जातियों और सदानों का भी ख्याल तो रखा ही है।