Friday 22nd of November 2024 07:32:50 AM
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शिवसेना को मोदी कैबिनेट में लाने की कोशिशें तेज, बोले फडनवीस

महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बार फिर यू-टर्न लिया है। पहले संजय राउत और आशीष सैलार के बीच मुलाकात हुई, फिर देवेन्द्र फडनवीस ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शिवसेना हमारी दुश्मन नहीं थी। राजनीति में कोई अगर-मगर नहीं होता। जरुरत के हिसाब से फैसले लिए जाते हैं…और अब उद्धव ठाकरे ने विधानसभा सत्र से पहले सत्तारुढ़ दल की टी-पार्टी कैंसिल कर दी….

राजनीति में किंतु-परंतु नहीं होता, सही वक्त पर उचित निर्णय लिए जाते हैं
राजनीति में किंतु-परंतु नहीं होता, सही वक्त पर “उचित निर्णय” लिए जाते हैं – फडनवीस

देवेन्द्र फडनवीस ने क्या कहा ?

देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि शिवसेना के साथ कुछ मतभेद हो सकते हैं, लेकिन हम दुश्मन नही हैं । उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई अगर-मगर नहीं होता । दरअसल फडणवीस से पूर्व सहयोगी शिवसेना के साथ फिर से गठबंधन को लेकर सवाल किया गया था । यह पूछे जाने पर कि क्या दो पूर्व सहयोगियों के फिर से एक साथ आने की संभावना है, फडणवीस ने कहा कि स्थिति के आधार पर ‘उचित निर्णय’ किया जाएगा ।

आशीष शैलार और संजय राउत के बीच मुलाकात

इससे पहले दिन में शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत के साथ बीजेपी नेता आशीष शैलार की मुलाकात हुई । दोनों के बीच मुलाकात के दौरान क्या बात हुई. ये सवाल पूछे जाने पर संजय राउत ने कहा कि  ‘‘हमारे बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेद हो सकता है, लेकिन अगर हम सार्वजनिक कार्यक्रमों में आमने-सामने आते हैं तो अभिवादन जरूर करेंगे । मैं शेलार के साथ सबके सामने भी कॉफी पीता हूं । ’’

जेडीयू और शिवसेना को मोदी मंत्रीमंडल में जगह देने पर विचार

दरअसल बीजेपी बदले राजनीतिक माहौल में पुरानी एनडीए को फिर से जिंदा करना चाहती है। भाजपा के तीन प्रमुख सहयोगी अकाली दल, जेडीयू और शिवसेना एक-एक कर एनडीए से अलग हो गये थे। अब भाजपा के अंदर ये मंथन चल रहा है कि तीनों को कैसे वापस टीम में जोड़ा जाय। जेडीयू बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सत्ता चला रही है लेकिन मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं है। इस बार जेडीयू का मंत्रीमंडल में शामिल होना लगभग तय है। इसके बाद अमित शाह ने देवेन्द्र फडनवीस को दिल्ली तलब किया। उसके बाद शिवसेना के साथ पुराने संबंधों की दुहाई दी जा रही है। जहां तक पंजाब का सवाल है तो किसान आंदोलन के बाद बदले माहौल में अकाली दल के लिए भाजपा के साथ जाना मुश्किल है। इसलिए इस मामले को चुनाव तक टाल दिया गया है। हां, इस बीच बीजेपी नेताओं को सख्त हिदायत है कि वे अकाली दल या बादल परिवार पर हमला करने से बचें ।

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