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मंदिर निर्माण का आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव

मंदिर बनाने से क्या होगा?

संजय कुमार विनीत
वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक

भारत का इतिहास और सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध है। हमारे प्राचीन मंदिर केवल पूजा स्थल ही नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक केंद्र के रूप में भी कार्य करते रहे हैं। धार्मिक पर्यटन हमारे देश के पर्यटन व्यवसाय का एक बड़ा हिस्सा है, जिससे भारी मात्रा में आर्थिक लाभ उत्पन्न होता है। प्राचीन काल में भारतीय लोग मंदिर रहित स्थान को मानव निवास के लिए अनुपयुक्त मानते थे। वर्तमान में, अनुमान है कि भारत में धार्मिक पर्यटन का हिस्सा घरेलू पर्यटन में 60 प्रतिशत है, जबकि 11 प्रतिशत विदेशी सैलानी धार्मिक उद्देश्य से आते हैं।

अयोध्या में नवनिर्मित श्रीराम मंदिर ने न केवल अयोध्या के बहुआयामी विकास में योगदान दिया है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव डाला है। इसलिए, जो लोग यह कहते हैं कि “मंदिर बनाने से क्या होगा?” उन्हें इस तथ्य को समझना चाहिए कि मंदिरों का निर्माण आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण कारक होता है।

राम मंदिर निर्माण का प्रभाव

अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद हुआ। हालांकि, इसके बावजूद इस पर अनेक आलोचनाएँ की गईं। परंतु, इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि राम मंदिर के निर्माण से बड़ी संख्या में पर्यटकों और तीर्थयात्रियों का आगमन हुआ है। इससे स्थानीय व्यापार, होटल, रेस्तरां और परिवहन सेवाओं सहित आतिथ्य अवसंरचना का विकास हुआ, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित हुए और आर्थिक वृद्धि को बल मिला।

भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदिरों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वित्त वर्ष 2022-23 में केवल छह बड़े हिंदू मंदिरों ने 24,000 करोड़ रुपये का चढ़ावा अर्जित किया था। कुंभ मेले जैसे धार्मिक आयोजनों से भी भारी आर्थिक गतिविधियाँ उत्पन्न होती हैं। 2019 के प्रयागराज कुंभ मेले ने लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये की आय उत्पन्न की थी, जबकि 2025 के महाकुंभ से 20 लाख करोड़ रुपये की आय का अनुमान लगाया जा रहा है।

मंदिरों की आर्थिक शक्ति

राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण कार्यालय (NSSO) के अनुसार, 2022 में मंदिर अर्थतंत्र भारत की अर्थव्यवस्था में 3.02 लाख करोड़ रुपये का योगदान दे रहा था, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 2.32 प्रतिशत है। इस सर्वेक्षण के अनुसार, भारतीय तीर्थयात्री प्रतिदिन लगभग 1316 करोड़ रुपये खर्च करते हैं, जो वार्षिक रूप से 4.74 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचता है।

जहाँ भी बड़े मंदिर स्थित हैं, वहाँ श्रद्धालुओं और सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ती है। पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, 2022 में 14.33 करोड़ भारतीय और 64.4 लाख विदेशी पर्यटकों ने मंदिरों और तीर्थ स्थलों का भ्रमण किया, जिससे 1.35 लाख करोड़ रुपये की आमदनी हुई। महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आगमन की संभावना है, जिनमें से कम से कम 10 प्रतिशत श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या भी जाएंगे।

मंदिरों का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

‘मंदिर’ का अर्थ होता है—मन से दूर कोई स्थान। इसे देवालय, शिवालय, रामद्वारा, गुरुद्वारा, जिनालय आदि नामों से भी जाना जाता है। हालांकि, आजकल लोग मंदिरों की वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्ता से अपरिचित हैं। मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं होते, बल्कि वे सामुदायिक एकता, सांस्कृतिक पहचान और सामाजिक समृद्धि के भी केंद्र होते हैं।

राम मंदिर और महाकुंभ का प्रभाव

महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अयोध्या, काशी और विंध्यवासिनी मंदिर का भी रुख कर रही है। इससे न केवल धार्मिक बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिला है। स्थानीय व्यापारियों, होटल व्यवसायियों और परिवहन सेवाओं से जुड़े लोगों की आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अनुमान है कि महाकुंभ के दौरान राम मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर और विंध्यवासिनी मंदिर के आसपास हजारों करोड़ की आर्थिक गतिविधियाँ संचालित होंगी।

भारत में मंदिरों के पुनर्निर्माण और संरक्षण की पहल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार मंदिरों के आर्थिक प्रभाव को समझते हुए योजनाबद्ध तरीके से उनके विकास को प्रोत्साहित कर रही है। अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए महाकाल लोक, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, केदारनाथ पुनर्निर्माण, ओंकारेश्वर में एकात्म धाम, कश्मीर में शारदा पीठ का पुनरोद्धार, उत्तराखंड में कैलाश दर्शन जैसी अनेक पहलें मंदिरों को सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टिकोण से सशक्त कर रही हैं।

निष्कर्ष

कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों की भांति, धार्मिक सेवाओं और मंदिरों का भी एक विशिष्ट अर्थशास्त्र होता है। मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि वे आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक उत्थान के प्रतीक भी हैं। इसलिए, जो लोग कहते हैं कि “मंदिर बनाने से क्या होगा?” उन्हें यह समझना चाहिए कि मंदिरों के निर्माण से न केवल आध्यात्मिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक उन्नति भी संभव होती है।

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